नई दिल्ली: अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया है कि साल 2013 में प्रचलन में आने के बाद से टैंक-स्टाइल इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के एरोसोल या वाष्प में लेड, निकल, आयरन और कॉपर जैसी कार्सिनोजेन धातुओं का सांद्रण बढ़ा है। इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में बैटरी, एटॉमिजिंग यूनिट और फ्लूइड होता है, जिसे फिर से भरा जा सकता है।
यह अब नए टैंक-स्टाइल डिजाइन में आता है, जिसमें अधिक दमदार बैटरियां होने के साथ-साथ रिफिल फ्लूइड जमा रखने के लिए अधिक क्षमता वाली टंकी बनी होती है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय रिवरसाइड के शोधकर्ताओं ने कहा कि नए स्टाइल में प्रयोग में लाए जाने वाली हाई-पॉवर की बैटरियां और एटोमाइजर मेटल कंसंट्रेशन को बढ़ा सकता है, जो एरोसोल में ट्रांसफर हो जाता है।
एक पोस्ट-डॉक्टरल शोधकर्ता मोनिक विलियम्स के अनुसार, "टैंक स्टाइल ई-सिगरेट हाई वोल्टेज और पॉवर पर काम करती है। इस कारण एरोसोल में लेड, निकल, आयरन और कॉपर जैसी कार्सिनोजेन धातुओं की कंसंट्रेशन में वृद्धि होती है।"
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