न्यूयार्क: पिछले 20 वर्षो में दिल के दौरे से पुरुषों की मौत की संख्या घटी है, जबकि खासतौर से युवा महिलाओं की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह तनाव को माना गया है। एक शोध के अनुसार, दैनिक दिनचर्या में होने वाला तनाव महिलाओं के हृदय पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
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नौकरी, घर की देखभाल, बच्चे और रिश्तेदार आदि कई वजह हैं जो तनाव का कारण हैं। यही तनाव महिलाओं के दिल पर बोझ बढ़ा देता है। निष्कर्षो के अनुसार, हर साल करीब 47 प्रतिशत महिलाओं और 38 प्रतिशत पुरुषों की हृदय रोग से मृत्यु होती है।
जिन महिलाओं में एचडीएल का स्तर कम है। कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप की समस्या है। धूम्रपान और शराब का सेवन करती हैं। अस्वस्थ आहार लेती हैं और व्यायाम नहीं करती हैं। ऐसी महिलाओं में हृदयरोग से होने वाली मौत का खतरा ज्यादा होता है।
इसके अलावा अनियमित मासिक चक्र, समय से पहले रजनोवृत्ति, गर्भावस्था की समस्याएं, गर्भावधि मधुमेह और हार्मोन प्रतिस्थापन उपचार भी महिलाओं में हृदय की स्थिति को खराब करता है।
ऑस्ट्रिया की मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ वियेना से एलेक्जेंड्रा विलर कहती हैं, "हृदय रोग के मामले में महिलाओं की उम्र वितरण में भिन्नता है। साथ ही हृदय के जोखिम कारकों और संवहनी परिवर्तनों का भी आकृति विज्ञान अलग है।"
महिलाओं में इन रोगों का निदान और चिकित्सा अक्सर मुश्किल हो जाती है। वहीं ईसीजी परीक्षण और एरगोमेट्री भी कम निर्णायक होते हैं। हालांकि महिलाओं के लिए लगातार कई ऐसे प्रयोग और परीक्षण स्थापित किए जा रहे हैं, जिनसे उन्हें हृदय रोग से बचाया सके। वसा की मात्रा और मधुमेह के बाद होने वाले तनाव विकार भी महिलाओं के स्वास्थ्य में काफी अहम भूमिका निभाते हैं।
शोधार्थी कहते हैं, महिलाओं को सक्रिय रूप से दैनिक दिनचर्या में आराम की अवधि को शामिल करने की जरूरत है। इसके अलावा तनाव को कम करने के लिए पर्याप्त शारीरिक गतिविधियों को पहले ही सुनिश्चित कर लेना चाहिए।
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