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नीला जादू यानी फ़ेसबुक की लत छुड़ाएगी क्लिनिक

नशा कई तरह के होते हैं, शराब, सिगरेट, ड्रग्स आदि नशे माने जाते हैं। इसकी लत इंसान को बरबाद करके रख देती है और इसे छुड़ाने के लिए क्लिनिक हैं। कम्युनिकेशन के युग में सोशल

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नशा कई तरह के होते हैं, शराब, सिगरेट, ड्रग्स  आदि नशे माने जाते हैं। इसकी लत इंसान को बरबाद करके रख देती है और इसे छुड़ाने के लिए क्लिनिक हैं। कम्युनिकेशन के युग में सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना भी कुछ लोगों के लिए एक नशे की तरह हो गया है और मज़ेदार बात ये है कि इस लत को छुड़ाने के लिए अल्जीरिया में 'फेसबुक एडिक्शन क्लीनिक' खुल गई है। चीन और दक्षिण कोरिया के बाद यह दुनिया का तीसरा ऐसा देश है जहां ऐसी क्लीनिक खुली है।

मानव विकास से जुड़ वैज्ञानिक राओफ बोक्वाफा इसके निदेशक हैं और उनका कहना है कि अल्जीरिया में 'फेसबुक निर्भरता' की लत तेज़ी से बढ़ रही है। इस क्लिनिक में मनोवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का एक दल काम करेगा।  

फ़ेसबुक की लत से होता ड्रग्स जैसा नुकसान

राओफ़ का कहना है कि फेसबुक की लत से होने वाले नुकसान ड्रग से होने वाले नुकसान से कम नही है। राओफ सोशल नेटवर्क के असर की तुलना 'काले जादू' से करते है जिसे उन्होंने 'नीला जादू कहा है यानी फ़ेसबुक का रंग।

राओफ ने बताया कि फेसबुक के मुख्यत: तीन प्रभावों को रोकने के लिए क्लीनिक का विचार आया। जो काल्पनिक दुनिया में रहते हैं उनकी मानसिक, सामाजिक और सुरक्षा को लेकर होने वाले नुकसान को रोका जा सकेगा। राओफ ने कहा कि फेसबुक के लत के मारे लोगों को बरगलाना कट्टरपंथी समूहों के लिए भी बेहद आसान होता है। यह उनके लिए भर्ती का एक बड़ा जरिया बन चुका है। इसके विरुद्ध लड़ाई के लिए हम 'मरीज' को काउंसिलिंग में मदद करेंगे। राओफ का मानना है कि वह इसकी लत का वास्तविक कारण भी पता लगा लेंगे और उनका क्लीनिक तमाम युवाओं से फेसबुक पर निर्भरता खत्म करने में मदद कर सकेगा।

भारत में 14 करोड़ लोग हैं फ़ेसबुक पर

भारत में फेसबुक यूजर्स की संख्या 14.2 करोड़ पार पहुंच चुकी है। भारत की 1.3 अरब के करीब आबादी है यानी 10 फीसदी के करीब भारतीय फेसबुक इस्तेमाल कर रहे और 6.9 करोड़ लोग रोज़ कम से कम एक बार फेसबुक पर आते हैं
शोधकर्ताओं के अनुसार फेसबुक की लत दिमाग का वह हिस्सा सक्रिय करती है जो कोकीन से होता है। फेसबुक 'एमिगडाला' को भी तेजी से सक्रिय कर देता है। 'एमिगडाला' मस्तिष्क का वह हिस्सा होता है जो सीधा इंसान की भावनाओं से जुड़ा होता है

शोध के लिए ग्रेजुएशन कर रहे छात्रों से कुछ सवाल भी पूछे गए। उन्हें कुछ तस्वीरें भी दिखाई गईं, इनमें फेसबुक से जुड़ी तस्वीरें दिखते ही एक बटन दबाने को कहा गया। जिन्होंने बटन फटाफट दबा दिया उन्हें काफी उच्च स्कोर दिया गया

(कैलीफोर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ओफिर तुरिल का शोध)

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