हेल्थ डेस्क: मस्तिष्क आघात को जीवन के लिए हमेशा से घातक माना जाता है, लेकिन दुर्लभ मामलों में इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के चिकित्सकों ने मस्तिष्क आघात के दो मरीजों का इलाज सफलतापूर्वक कर उन्हें एक नया जीवन दिया है। इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल एवं इण्डियन स्ट्रोक एसोसिएशन के अध्यक्ष व सीनियर कन्सलटेन्ट डॉ. विनीत सूरी ने कहा, "दोनों मामलों में मरीज को बोलने और समझने में परेशानी हो रही थी, जबकि शरीर के अन्य सभी अंग सामान्य कार्य कर रहे थे। यह समझना जरूरी है कि लिंब पैरालिसिस के बिना भी स्ट्रोक के लक्षण दिखाई दे सकते हैं जैसे बोलने में परेशानी, असामान्य व्यवहार, किसी की कही गई बात को न समझ पाना।
'गोल्डन ऑवर' के अंदर जल्द से जल्द इलाज के जरिए मरीज के दिमाग को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है। समय पर इलाज से दिमाग में खून का प्रवाह सामान्य रूप से होने लगता है।" डॉ सूरी ने बताया, "पहला मरीज इन्ट्रावीनस दवाओं की मदद से एक घंटे के अंदर ही ठीक से बोलने लगा, जबकि 43 वर्षीय दूसरे मरीज में स्टेंट की मदद से क्लॉट निकाया गया।"
उन्होंने बताया कि गोल्डन पीरियड में जितनी जल्दी इलाज शुरू किया जाता है, उतनी जल्दी मरीज ठीक हो पाता है। उन्होंने कहा कि बाजू/टांग, बोलने में परेशानी, समझने में परेशानी, अचानक देखने में परेशानी, संतुलन न बना पाना, अचानक सिरदर्द/ उल्टी और बेहोशी स्ट्रोक के मुख्य लक्षण हैं।
डॉ सूरी ने कहा, "स्ट्रोक के दौरान हर मिनट 19 लाख न्यूरोन नष्ट होते हैं, इसलिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण होता है। जल्द से जल्द मरीज को अस्पताल पहुंचा कर उसे स्थायी अपंगता से बचाया जा सकता है। हालांकि कुछ मामलों में मरीज दवाओं से ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में सर्जरी की भी जरूरत होती है।"
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