फाइलेरिया के लक्षण, कारण, उपचार और घरेलू नुस्खे
फाइलेरिया एक बार आपके शरीर पर असर नहीं दिखाता है। यह बीमारी धीर-धीरे आपके पूरे शरीर पर असर दिखाता है। इसकी शुरुआत ऐसे होती है कि आपके शरीर के अंग जैसे पैर, स्तन, हाथ, मुंह सूज जाते हैं।
हेल्थ डेस्क: फाइलेरिया एक बार आपके शरीर पर असर नहीं दिखाता है। यह बीमारी धीर-धीरे आपके पूरे शरीर पर असर दिखाता है। इसकी शुरुआत ऐसे होती है कि आपके शरीर के अंग जैसे पैर, स्तन, हाथ, मुंह सूज जाते हैं।
फाइलेरिया रोग, जिसे हाथी पांव या फील पांव भी कहते हैं, में अक्सर हाथ या पैर बहुत ज्यादा सूज जाते हैं। इसके अलावा फाइलेरिया रोग से पीड़ित व्यक्ति के कभी हाथ, कभी अंडकोष, कभी स्तन आदि या कभी अन्य अंग भी सूज सकते हैं। आम बोलचाल की भाषा में हाथीपांव भी कहा जाता है।
एलीफेंटिटिस यानि श्लीपद ज्वर एक परजीवी के कारण फैलती है जो कि मच्छर के काटने से शरीर के अंदर प्रवेश करता है। इस बीमारी से मरीज के पैर हाथी के पैरों की तरह फूल जाते हैं। इस रोग के होने से न केवल शारीरिक विकलांगता हो सकती है बल्कि मरीजों की मानसिक और आर्थिक स्थिति भी बिगड़ सकती है।
एलीफेंटिटिस को लसीका फाइलेरिया भी कहा जाता है क्योंकि फाइलेरिया शरीर की लसिका प्रणाली को प्रभावित करता है। यह रोग मनुष्यों के हाथ- पैरों के साथ ही जननांगों को भी प्रभावित करता है।
फाइलेरिया के उपचार के लिए यहां हम आपको कुछ घरेलू और आयुर्वेदिक नुस्खे बता रहे हैं:-
लौंग - लौंग फाइलेरिया के उपचार के लिए बहुत प्रभावी घरेलू नुस्खा है। लौंग में मौजूद एंजाइम परजीवी के पनपते ही उसे खत्म कर देते हैं और बहुत ही प्रभावी तरीके से परजीवी को रक्त से नष्ट कर देते हैं। रोगी लौंग से तैयार चाय का सेवन कर सकते हैं।
काले अखरोट का तेल - काले अखरोट के तेल को एक कप गर्म पानी में तीन से चार बूंदे डालकर पिएं। इस मित्रण को दिन में दो बार पिया जा सकता है। अखरोट के अंदर मौजूद गुणों से खून में मौजूद कीड़ों की संख्या कम होने लगती है और धीरे धीरे एकदम खत्म हो जाती है। जल्द परिणाम के लिए कम से कम छह हफ्ते प्रतिदिन इस उपाय को करें।
खाने में ऐसे करें यूज - फाइलेरिया के इलाज के लिए अपने रोज के खाने में कुछ आहार जैसे लहसुन, अनानास, मीठे आलू, शकरकंदी, गाजर और खुबानी आदि शामिल करें। इनमें विटामिन ए होता है और बैक्टरीरिया को मारने के लिए विशेष गुण भी होते हैं।
आंवला- आंवला में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें एन्थेलमिंथिंक (Anthelmintic) भी होता है जो कि घाव को जल्दी भरने में बेहद लाभप्रद है। आंवला को रोज खाने से इंफेक्शन दूर रहता है।
अश्वगंधा - अश्वगंधा शिलाजीत का मुख्य हिस्सा है, जिसके आयुर्वेद में बहुत से उपयोग हैं। अश्वगंधा को फाइलेरिया के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
ब्राह्मी- ब्राह्मी पुराने समय से ही बहुत सी बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है। फाइलेरिया के इलाज के लिए ब्राह्मी को पीसकर उसका लेप लगाया जाता है। रोजाना ऐसा करने से रोगी सूजन कम हो जाती है।
अदरक- फाइलेरिया से निजात के लिए सूखे अदरक का पाउडर या सोंठ का रोज गरम पानी से सेवन करें। इसके सेवन से शरीर में मौजूद परजीवी नष्ट होते हैं और मरीज को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।
शंखपुष्पी- फाइलेरिया के उपचार के लिए शंखपुष्पी की जड़ को गरम पानी के साथ पीसकर पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाएं। इससे सूजन कम होने में मदद मिलेगी।
कुल्ठी- कुल्ठी या हॉर्स ग्राम में चींटियों द्वारा निकाली गई मिट्टी और अंडे की सफेदी मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाएं। इस लेप को प्रतिदिन प्रभावित स्थान पर लगाएं, सूजन से आराम मिलेगा।अगर को पानी के साथ मिलाकर लेप तैयार करें। इस लेप को प्रतिदिन 20 मिनट के लिए दिन में दो बार प्रभावित स्थान पर लगाएं। इससे घाव जल्दी भरते हैं और सूजन कम होती है। घाव में मौजूद बैक्टीरिया भी मर जाते हैं।
रॉक साल्ट - शंखपुष्पी और सौंठ के पाउडर में रॉक साल्ट मिलाकर, एक एक चुटकी रोज दो बार गरम पानी के साथ लें।