black blood spot
थ्रोंबोफिलिआ: ब्लीडिंग डिसऑर्डर जैसे कि थ्रोंबोटिक थ्रोंबोसाइटोपेनिया पर्प्यूरा (टीटीपी) या आईडियोपेथिक थ्रोंबोसाइटोपेनिक पर्प्यूरा (आईटीपी) जिनमें कि प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं, इनके कारण भी शरीर की ब्लड क्लॉट की क्षमता कम हो जाती है, जिससे कि नील के निशान पड़ते हैं।
हीमोफीलिया: हीमोफीलिया थ्रोम्बोफिलिया की उल्टी प्रक्रिया है। इस समस्या में भी आपके शरी में काले निशान पड़ जाते है। इस बीमारी में भी अधिक रक्तस्राव की आशंका रहती है क्योंकि ब्लड क्लॉटिंग नहीं हो पाती। अगर आपके शरीर में राले निशान पड़ रहे है, तो एक ये भी कारम हो सकता है।
एहलर्स-डेन्लस सिंड्रोम: इस समस्या में नील के निशान इसलिए पड़ जाते हैं क्योंकि कशिकाएं और रक्तधमनियां कमजोर हो जाती हैं और आसानी से टूट जाती हैं। इस बीमारी के मुख्य लक्षण शरीर में अत्यधिक निशान पड़ना, घाव देर से भरना, इंटरनल ब्लीडिंग या वक्त से पहले मृत्यू, भ्रूण को नुकसान आदि हैं।
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