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ऐसे पीएं दूध
शोधकर्ताओं ने बताया कि जो लोग नियमित रूप से पूरी मलाईवाला दूध पीते थे उनमें यह जोखिम नजर नहीं आया। उन्होंने कम वसा वाले दही, पनीर आदि अन्य डेयरी उत्पादों का नियमित सेवन करने वाले लोगों का भी विश्लेषण किया। वास्तव में उन्होंने कम वसा वाले डेयरी उत्पादों के तमाम रूपों के नियमित इस्तेमाल और उसके संभावित नतीजों पर गौर किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग कम मलाई वाले डेयरी उत्पाद का दिन में कम से कम तीन बार सेवन करते थे उनमें पार्किंसन बीमारी होने का जोखिम 34 फीसदी अधिक था।
यह अध्ययन मेडिकल जर्नल ‘न्यूरोलॉजी’ में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने कहा, इस अध्ययन से यह संकेत मिलता है कि पार्किंसन से बचाव में यूरेट अहम साबित हो सकता है। जहां तक डेयरी उत्पादों के सेवन की बात है तो लोगों को फिलहाल आदत बदलने की आवश्यकता नहीं है। दरअसल इस अध्ययन से पार्किंसन के कारण के बारे में एक अहम साक्ष्य मिला है, लेकिन इस संबंध में और अधिक अध्ययन की जरूरत है।
जानिए क्या है पार्किंसन बीमारी
यह बीमारी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में क्षरण से जुड़ा विकार है, जो समय के साथ क्रमश: बढ़ता जाता है। इस बीमारी के कारण मस्तिष्क के उस हिस्से की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं जो गति को नियंत्रित करता है। इसके आम लक्षण है कंपन, मांसपेशियों में सख्ती व तालेमल की कमी और गति में धीमापन ला देता है।
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