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डॉक्टर की लापरवाही का आरोप
नितिन गर्ग का कहना है कि जब श्रवण की मां पायल की प्रसव के दौरान सोनोग्राफी हुई थी, उसी समय सोनोग्राफी में स्पष्ट रूप से बच्चे के हालात साफ दिखाई दे रहे थे। बावजूद इसके चिकित्सक ने अनदेखी की।
नितिन गर्ग का आरोप है कि अगर चिकित्सक उस वक्त सोनोग्राफी सही तरीके से देखकर बताते, तो शायद उस वक्त परिजन कुछ और निर्णय ले सकते थे।
दिखाया कही जगह, लेकिन निराशा लगी हाथ
बेटे के इलाज के लिए परिजन बिलासपुर, दिल्ली, इंदौर, बैलूर व कोयम्बटूर तक जा चुके हैं, लेकिन एक भी डॉक्टर ने बीमारी का नाम नहीं बताया और न ही कोई दवा ही दी। अपनी लाइलाज बीमारी को लेकर छह वर्षीय श्रवण ने आज तक उस बीमारी की कोई भी दवा नहीं ली है।
श्रवण है मानसिक रुप से हेल्दी
श्रवण अपने उम्र के बच्चों की तरह मानसिक रूप से पूरी तरह से स्वस्थ है। हालांकि वह अभी तक स्कूल नहीं जा सका है, परंतु पढ़ाई-लिखाई में वह पूरी तरह से माहिर है। कमी बस यह है कि वह अपने भारी पैरों के चलते चल-फिर नहीं सकता। चिकित्सकों का यह कहना है कि अब श्रवण की सिर्फ सेवा कीजिए। इस सलाह के अनुसार परिजन उसकी सेवा में लगे रहते हैं।
परिजनों को यह भी डर है कि आने वाले दिनों में जब श्रवण और बड़ा होगा और अपनी लाइलाज बीमारी के बारे में समझ पाएगा तो उसकी मनोस्थिति क्या होगी, यह सोचकर परिजन परेशान हैं।
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