30 की उम्र में दिखने लगते है ब्रेस्ट कैंसर के ये लक्षण, महिलाएं ऐसे करें खुद का बचाव
इंडिया में महिलाओं में कैंसर के मामलों में 27 प्रतिशत मामले ब्रेस्ट कैंसर के हैं। इस तरह की परेशानी 30 वर्ष की उम्र के शुरुआती वर्षो में होती है, जो कि 65 साल तक हो सकती है. जानिए इससे बचने के उपायों के बारें में...
हेल्थ डेस्क: भारत में महिलाओं में कैंसर के मामलों में 27 प्रतिशत मामले ब्रेस्ट कैंसर के हैं। इस तरह की परेशानी 30 वर्ष की उम्र के शुरुआती वर्षो में होती है, जो आगे चलकर 50 से 64 वर्ष की उम्र में भी हो सकती है। स्तन कैंसर के कुछ लक्षणों में स्तन या बगल में गांठ बन जाना, स्तन के निप्पल से खून आना, स्तन की त्वचा पर नारंगी धब्बे पड़ना, स्तन में दर्द होना, गले या बगल में लिम्फ नोड्स के कारण सूजन होना आदि प्रमुख हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, 28 में से किसी एक महिला को जीवनकाल में कभी न कभी स्तन कैंसर होने का अंदेशा रहता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मुताबिक, भारतीय महिलाओं में छोटी उम्र में ही स्तन कैंसर होने लगा है। जागरूकता की कमी और रोग की पहचान में देरी के चलते उपचार में कठिनाई भी आती है।
स्तन कैंसर में इस रोग के ऊतक या टिश्यू स्तन के अंदर विकसित होते हैं। इस रोग होने के पीछे जो कारक हैं, उनमें प्रमुख हैं- जीन की बनावट, पर्यावरण और दोषपूर्ण जीवनशैली। बचाव के लिए जरूरी है कि 30 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं की स्क्रीनिंग आवश्यक रूप से की जाए। साथ ही जीवनशैली में भी कुछ बदलाव किए जाएं तो इस रोग की आशंका कम की जा सकती है।
आईएमए के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "यह ज्ञात हो चुका है कि डीएनए में अचानक से होने वाले परिवर्तनों के कारण सामान्य स्तन कोशिकाओं में कैंसर हो जाता है। यद्यपि इनमें से कुछ परिवर्तन तो माता-पिता से मिलते हैं, लेकिन बाकी ऐसे परिवर्तन जीवन में खुद ही प्राप्त होते हैं। प्रोटोओंकोजीन्स की मदद से ये कोशिकाएं बढ़ती ताजी हैं। जब इन कोशिकाओं में म्यूटेशन या उत्परिवर्तन होता है, तब ये कैंसर कोशिकाएं बेरोकटोक बढ़ती जाती हैं।
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ऐसे उत्परिवर्तन को ओंकोजीन के रूप में जाना जाता है। एक अनियंत्रित कोशिका वृद्धि कैंसर का कारण बन सकती है। बीआरसीए1 और बीआरसीए2 जीन में उत्परिवर्तन होते हैं। माता-पिता से उत्परिवर्तित जीन से स्तन कैंसर का जोखिम अधिक होता है। उच्च जोखिम वाली महिलाओं को हर साल एमआरआई और मैमोग्राम कराना चाहिए।"
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "एस्ट्रोजेन स्तन ग्रंथियों के ऊतकों के विभाजन को तीव्र करता है। किसी महिला में यदि लंबे समय तक एस्ट्रोजेन अधिक रहता है, तो स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा रहता है। यदि 11 वर्ष की आयु या उससे पहले ही मासिक धर्म शुरू हो जाए या 55 वर्ष या उससे अधिक उम्र में रजोनिवृत्ति हो तो माना जाता है कि एस्ट्रोजेन का एक्सपोजर अधिक है। महिलाओं को 45 वर्ष से 54 वर्ष की उम्र तक हर साल एक बार स्क्रीनिंग मैमोग्राम करा लेना चाहिए। 55 वर्ष या अधिक उम्र की महिलाओं को सालाना स्क्रीनिंग करानी चाहिए।"
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