A
Hindi News लाइफस्टाइल हेल्थ 35 साल से कम उम्र की महिलाएं तेजी से हो रही है ब्रेस्ट और गर्भाशय कैॆंसर की शिकार, जरुर कराएं ये टेस्ट

35 साल से कम उम्र की महिलाएं तेजी से हो रही है ब्रेस्ट और गर्भाशय कैॆंसर की शिकार, जरुर कराएं ये टेस्ट

ज्यादातर 50 साल साल से अधिक उम्र की महिलाएं स्तन और गर्भाशय कैंसर से पीड़ित होती हैं, मगर अब 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में भी स्तन और गर्भाशय कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। जानें किस टेस्ट को कराना है जरुरी।

Uterine and Breast Cancer- India TV Hindi Uterine and Breast Cancer

हेल्थ डेस्क: भारत में स्तन कैंसर महिलाओं की मौत का प्रमुख कारण बना हुआ है, लेकिन अब इसके कारण महिलाओं में गर्भाशय कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के कैंसर रोग विशेषज्ञ, सर्जिकल ऑन्कोलोजिस्ट डॉ. एम. डी. रे का कहना है कि स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं में गर्भाशय कैंसर का भी खतरा बना रहता है, क्योंकि एक ही प्रकार के जीन के मौजूद रहने से दोनों तरह के कैंसर होते हैं।

रे ने कहा, "कैंसर के लिए जीन उत्तरदायी होते हैं। हमने देखा है कि स्तन कैंसर के मामले बढ़ने से पिछले कुछ सालों में गर्भाशय कैंसर के मामलों में इजाफा हुआ है। एम्स में भी कई ऐसे मामले आए हैं, जहां महिलाओं में दोनों तरह के कैंसर पाए गए हैं।"

मानव में पाए जाने वाले बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जीन से जो ट्यमूर पैदा होता है, उससे प्रोटीन का दमन होता है। दोनों में से किसी एक जीन में जब बदलाव आता है, यानी वह ठीक से काम नहीं करता, तो उससे क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत नहीं हो पाती है। इसके फलस्वरूप कोशिकाओं में अतिरिक्त आनुवांशिक तब्दीली आती है, जिससे कैंसर हो सकता है।

होते है ये जीन ब्रेस्ट और गर्भाशय कैंसर के कारण
रे ने कहा, "बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जीन स्तन और गर्भाशय दोनों प्रकार के कैंसर के लिए उत्तरदायी होते हैं। इनके काम नहीं करने से कैंसर के खतरे बढ़ जाते हैं। इसलिए स्तन कैंसर से पीड़ित मरीज में गर्भाशय कैंसर का खतरा बना रहता है। इसी प्रकार गर्भाशय कैंसर के मरीज को स्तन कैंसर का खतरा रहता है।"

सर गंगाराम हॉस्पिटल की ऑन्कोलोजिस्ट डॉ. माला श्रीवास्तव ने कहा, "अगर किसी को स्तन कैंसर है तो उसे गर्भाशय कैंसर होने की 30 से 35 फीसदी संभावना रहती है। वहीं, अगर किसी को गर्भाशय कैंसर है तो उसे स्तन कैंसर की संभावना 10 से 15 फीसदी रहती है।"

बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 में खासतौर से वंशानुगत परिवर्तन से स्तन और गर्भाशय कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा तोता है। इसके अलावा, गर्भाशय नाल, अग्न्याशय कैंसर सहित कई अन्य प्रकार के रोग होने का भी खतरा बना रहता है।

इस उम्र री महिलाओं हो रही है शिकार
डॉ. रे ने कहा कि पहले ऐसा माना जाता था कि ज्यादातर 50 साल साल से अधिक उम्र की महिलाएं स्तन और गर्भाशय कैंसर से पीड़ित होती हैं, मगर अब 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में भी स्तन और गर्भाशय कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जीवनशैली खराब होने के कारण महिलाएं कैंसर से पीड़ित हो रही हैं।

इन लोगों को जरुर करानी चाहिए जांच
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि अगर किसी परिवार में एक-दो सदस्य स्तन या गर्भाशय कैंसर से पीड़ित हैं तो परिवार की सभी महिलाओं को बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 की जांच करानी चाहिए। साथ ही, स्तन और गर्भाशय कैंसर की जांच जल्द करानी चाहिए। अगर किसी महिला की मां को 45 साल की उम्र में स्तन कैंसर हुआ था तो उसे 35 साल की उम्र में ही मैमोग्राफी शुरू कर देनी चाहिए।

भारत में जीन परीक्षण महंगा होने के कारण अनेक महिलाओं में समय पर कैंसर की बीमारी का पता नहीं चल पाता है। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि जीन परीक्षण में करीब 25,000-26,000 रुपये खर्च होते हैं।

डॉ. रे ने कहा, "भारत में 90 फीसदी मरीज डॉक्टर के पास तब आते हैं जब कैंसर एडवांस्ड स्टेज में होता है। दरअसल, शुरुआती चरण में इसका पता ही नहीं चल पाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि गर्भाशय कैंसर के लक्षण का पता नहीं चल पाता है। उच्च तकनीक की सर्जरी के बावजूद मरीज के बचने की दर 30 फीसदी है।"

हैपी बर्थडे: अनिल कपूर की 'एवरग्रीन फिटनेस' के पीछे ये है राज़, 62 साल की उम्र में फॉलो करते हैं ये वर्कआउट प्लान

खाली पेट न करें इन चीजों का सेवन, हो सकता है अल्सर का खतरा

सर्दियों में सोरायसिस हो सकता है खतरनाक, ऐसे रखें खुद का ख्याल

Latest Lifestyle News