सोशल मीडिया में ज्यादा एक्टिव रहना हो सकता है खतरनाक, जानिए कैसे
वयस्क युवा जितना ज्यादा सोशल मीडिया पर समय बिताएंगे और सक्रिय रहेंगे, उनके उतना ज्यादा समाज से खुद को अलग-थलग महसूस की करने की संभावना होती है।
हेल्थ डेस्क: आज हर कोई सोशल मीडिया से जुड़ा हुआ है। ऐसी ही कोई व्यक्ति होगा जो कि सोशल मीडिया से दूरी बनाएं हुए है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, ट्विटर पर ज्यादा समय बिताते हैं तो एक नए शोध के अनुसार, इससे स्थिति और बिगड़ सकती है। शोध के निष्कर्ष में पता चला है कि वयस्क युवा जितना ज्यादा सोशल मीडिया पर समय बिताएंगे और सक्रिय रहेंगे, उनके उतना ज्यादा समाज से खुद को अलग-थलग महसूस की करने की संभावना होती है।
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अमेरिका के पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के प्रमुख लेखक ब्रायर्न प्रिमैक ने कहा, "हम स्वाभावकि रूप से सामाजिक प्राणी हैं, लेकिन आधुनिक जीवन हमें एक साथ लाने के बजाय हमारे बीच दूरियां पैदा कर रहा है, हालांकि ऐसा मालूम पड़ सकता है कि सोशल मीडिया सामाजिक दूरियों को मिटाने का अवसर दे रहा है..मुझे लगता है कि यह शोध दर्शाता है कि लोग जिस चीज की उम्मीद कर रहे हैं यह शायद उसका समाधान नहीं हो सकता है।"
यह शोध अमेरिकी पत्रिका प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं ने 19 से 32 साल की आयु के 1,500 अमेरिकी वयस्कों द्वारा 11 सबसे लोकप्रिय सोशल माडिया वेबसाइट जैसे-फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर, गूगल प्लस, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, रेडिट, टंबलर, पिंटरेस्ट, वाइन और लिंकडिन इस्तेमाल करने के संबंध में उनसे प्राप्त प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सोशल मीडिया पर रोजाना दो घंटे से ज्यादा वक्त बिताने वालों और आधे घंटे से भी कम वक्त बिताने वाले लोगों के बीच सामाजिक तौर पर अकेला महसूस करने के विचारों में अंतर पाया गया।
जिन लोगों ने प्रति हफ्ते 58 या उससे ज्यादा बार सोशल मीडिया पर वक्त बिताया, उन्होंने प्रति हफ्ते नौ घंटे से कम वक्त बिताने वालों की अपेक्षा खुद को ज्यादा समाज से अलग-थलग महसूस किया।
शोधकर्ताओं का मानना है कि सोशल मीडिया का उपयोग और अधिक प्रमाणिक सामाजिक अनुभव को बदल सकता है, क्योंकि जितना ज्यादा समय कोई शख्स ऑनलाइन रहता है उतना ही वह वास्तविक दुनिया व समाज के लोगों से दूर होता जाता है।