सावधान! भारतीय बच्चों में तेजी से फैल रहा है अस्थमा, ऐसे रखें ख्याल
अस्थमा एक पुराना श्वसन रोग है। यह ब्रोंकियल पैसेज के कम होते जाने का परिणाम है, जो फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने के लिए जिम्मेदार होता है। जानिए इसके कारण और कैसे रखें बच्चों का ख्याल।
हेल्थ डेस्क: भारत में लगभग 70 करोड़ लोग कोयला या केरोसिन स्टोव व अन्य घरेलू स्रोतों से निकलने वाले धुएं में सांस लेते हैं। यह धुआं कार्बन कणों, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, फॉर्मलडीहाइड और कैंसर कारक पदार्थ जैसे बेंजीन से भरपूर होता है। एक अध्ययन के अनुसार यह धुआं देश में अस्थमा का एक प्रमुख कारण है और यह बच्चों को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है।(सावधान! भारतीय बच्चों में तेजी से बढ़ रहा है ब्रेन ट्यूमर, रखें ऐसे ख्याल)
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि भारत में 1.5 से दो करोड़ लोगों को दमा की शिकायत है और यह संख्या कम होने के कोई संकेत नहीं नजर आ रहे। अध्ययनों से यह भी संकेत मिलता है कि बच्चों में अस्थमा का प्रसार अधिक होता है, क्योंकि उनकी सांस की नली छोटी होती है, जो सभी प्रदूषकों के कारण संकुचित होती जाती है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "अस्थमा एक पुराना श्वसन रोग है। यह ब्रोंकियल पैसेज के कम होते जाने का परिणाम है, जो फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने के लिए जिम्मेदार होता है। अस्थमा के दो कारण हो सकते हैं- वायुमार्ग में बलगम एकत्र होने के कारण फेफड़े में सूजन और वायुमार्ग के चारों ओर की मांसपेशियों के तंग होने के कारण सूजन।" (ये 5 घरेलू उपाय और पाएं डबल चिन से छुटकारा)
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "अस्थमा अक्सर खांसी के रूप में शुरू होता है, इस कारण इसे गंभीरता से नहीं लिया जाता है। अक्सर कफ सिरप लेकर इसका इलाज करने की कोशिश की जाती है। बच्चों में इसकी पहचान करना मुश्किल होता है, क्योंकि उनमें श्वसन, घरघराहट, खांसी और छाती की जकड़न आदि लक्षण एकदम से नहीं दिखते। इसके अलावा, प्रत्येक बच्चे का अस्थमा अलग तरह का होता है।"
उन्होंने कहा कि कुछ ट्रिगर अस्थमा के दौरे को बदतर भी बना सकते हैं। एक बार यदि एक बच्चे को अस्थमा होने का पता लग जाता है, तो घर से उसके कारणों या ट्रिगर्स को हटाने की जरूरत है या बच्चे को इनसे दूर रखने की जरूरत है।
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