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कब पड़ती है किडनी प्रत्यारोपण की जरुरत
अगर समय में किडनी खराब होने की दवा कराई ली जाएं तो इस समस्या से बच सकते है। इसका खर्च इतना मंहगा होता है कि हर कोई इतना खर्च नहीं कर सकता है। किडनी फेल होने की पहली स्टेज में डॉक्टर आपको ब्लड प्रेशर को कंट्रोल, प्रोटीन का कम सेवन के साथ-साथ नमक का सेवन भी कम करने की सलाह दी जाती है।
अगर किडनी फेल हो जाती है तो ट्रांसप्लांट किया जाता है या फर डायलसिस किया जाता है। डायलसिस सप्ताह में एक बार कराया जाता है। लेकिन यह मरीज के ऊपर है कि उसका खून कितने दिनों तक साफ रहता है या फिर शरीर में पानी भर जाता है। कई बार सप्ताह में 2-3 बर भी डायलसिस करना पड़ता है। जिसमें खून की सफाई की जाती है। यह रेग्युलर बेसिस पर ताउम्र कराया जाता है। एक और डायलसिस होती है। जिसे सीएपीडी कहा जाता है। यह मोद डायलसिस होता है। जिसमें पेट में कैथेटर लगाकर पेट की सफाई की जाती है। किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा वर्तमान में अधिकतर शहरों में हो गई है। ये डायलसिस की तुलना में बेहतर इलाज है।
ऐसे रखें अपनी किडनी को हेल्दी
- किडनी से संबंधी समस्या से ग्रस्त मरीज को प्रोटीन और नमक कम खाने की सलाह दी जाती है।
- रोजाना शारीरिक व्यायाम किया जाता है। जिससे कि ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की लेबल ठीक रहें।
- डायबिटीज को किडनी पर बहुत बुरा असर पड़ता है। या आप यह कह सकते है कि डायबिटीज किडनी का सबसे बड़ा शत्रु है। इसलिए ब्लड में शुगर की मात्रा नियंत्रित रहना आवश्यक होता है।
- कम मात्रा में पानी पीने से किडनी को नुकसान होता है। जिसके कारण मूत्रनली में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। जिससे पोषक तत्वों के कण मूत्रनली में पहुंचकर मूत्र की निकासी को बाधित करता है।
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