शरीर में आयरन की कमी के कारण हो सकता है जानलेवा डेंगू: शोध
शोध के अनुसार जिन लोगों के खून में लौह तत्व (आयरन) की कमी होती है उनसे मच्छरों के जरिये दूसरे लोगों को डेंगू के संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
डेंगू रोग भारत के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है। इसके प्रति इतनी जागरूकता फैलाने के बावजूद ये तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहा है। हाल में ही एक शोध सामने आया। इसके अनुसार जिन लोगों के खून में लौह तत्व (आयरन) की कमी होती है उनसे मच्छरों के जरिये दूसरे लोगों को डेंगू के संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
एक अध्ययन में यह दावा करते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि बीमारी के दौरान लौह तत्वों का सेवन करने वाले रोगी मच्छरों के काटने से होने वाले इस रोग के प्रसार को बढ़ने से रोक सकते हैं।
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डेंगू बुखार एडीज एजिप्टी प्रजाति के मच्छरों के काटने से होता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, शरीर पर चकत्ते पड़ना और तेज दर्द होना शामिल हैं। डेंगू के कुछ मामलों में रोगी का सही समय पर इलाज नहीं होने से मौत तक हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर साल डेंगू के करीब 39 करोड़ मामले आते हैं और इसका प्रकोप अब अफ्रीका, अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया तथा प्रशांत क्षेत्र के 100 से अधिक देशों में है।
नेचर माइक्रोबायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार डेंगू के जिन रोगियों के रक्त में आयरन का स्तर अधिक होता है उनका रक्त चूसने वाले मच्छरों के जरिये आगे वायरस का संक्रमण होने की आशंका कम होती है।
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अमेरिका के कनेक्टिकट विश्वविद्यालय के पेंघुआ वांग के नेतृत्व में अनुसंधानकर्ताओं ने यह पता लगाने का प्रयास किया कि क्या डेंगू रोगी के रक्त की गुणवत्ता का डेंगू वायरस के प्रसार पर असर होता है। उन्होंने स्वस्थ कार्यकर्ताओं के रक्त के नमूने लिये और हर नमूने में डेंगू के वायरस को डाला। जब उन्होंने मच्छरों को इस रक्त का सेवन कराया और देखा कि हर बैच में से कितने मच्छर संक्रमित हुए हैं तो उन्हें परिणामों में कई अंतर दिखाई दिये।
वांग और उनके सहयोगियों को पता चला कि नतीजों में यह अंतर रक्त में आयरन की मात्रा से जुड़ा था। वांग ने कहा, ‘‘खून में अधिक लौह तत्व होने पर कम संख्या में मच्छर संक्रमित हुए।’’
अनुसंधानकर्ताओं ने चूहों पर इस प्रयोग को करके भी इसी तरह के परिणाम प्राप्त किये। उन्होंने देखा कि रक्ताल्पता से ग्रस्त चूहों का रक्त चूसने वाले मच्छरों को वायरस का संक्रमण होने की संभावना अधिक थी। अध्ययन दल इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मच्छरों की प्रतिरोधी प्रणाली के कारण ऐसा हो रहा है। भा