सोरायटिक आर्थराइटिस के लक्षणों की पहचान आसान, जानें कैसे
चिकित्सकों का मानना है कि देश में अधिकतर लोग सोरायसिस से जुड़ी समस्याओं के बारे में पूरी तरह नहीं जानते हैं, जिसके दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं। उन्हीं में से एक समस्या सोरायटिक आर्थराइटिस की है, जिसके लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है।
नई दिल्ली: चिकित्सकों का मानना है कि देश में अधिकतर लोग सोरायसिस से जुड़ी समस्याओं के बारे में पूरी तरह नहीं जानते हैं, जिसके दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं। उन्हीं में से एक समस्या सोरायटिक आर्थराइटिस की है, जिसके लक्षणों को आसानी से पहचाना जा सकता है। सोरायटिक आर्थराइटिस (पीएसए) को अक्सर सोरायसिस मान लिया जाता है। यह इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस का एक प्रकार है, जिसकी वजह से उंगलियों, पैर के अंगूठों, घुटनों व पीठ में सूजन हो जाती है और उसके साथ जोड़ों में दर्द भी होता है और वो सख्त हो जाते हैं। कई मामलों में पीएसए के लक्षण और इसको लेकर भ्रम नहीं होना चाहिए।
गुरुग्राम स्थित क्वेस्ट क्लीनिक और मुंबई के रेऊम डर्मा क्लीनिक प्रभादेवी के कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. सुशांत शाइन का कहना है, "सोरायटिक आर्थराइटिस कई सारे जोड़ों को प्रभावित कर सकता है जैसे उंगलियों, कलाई टखने और कमर के जोड़ों को। उसकी वजह से उन जोड़ों में सूजन हो जाती है और उनमें दर्द होता है व वे सख्त हो जाते हैं। इसके इलाज में देरी करने से परेशानी और बढ़ सकती है इसलिए सोरायसिस के मरीजों के लिए यह जरूरी है कि उससे जुड़े लक्षणों पर नजर रखें।"
उन्होंने कहा कि मरीजों को यह सलाह दी जाती है कि इस बीमारी को प्रभावी रूप से मैनेज करने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। कुछ प्रमुख बदलावों में संतुलित आहार और धूम्रपान न करने जैसी चीजें शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पीएसए किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। वैसे यह आमतौर पर 30 से 50 साल के लोगों में अधिक पाया जाता है।
डॉ. सुशांत शाइन ने कहा, "जब कोई व्यक्ति इस समस्या से ग्रस्त हो जाता है तो कई बार जोड़ों में होने वाली सूजन और दर्द की वजह से उन्हें घर के रोजमर्रा के कामों को करने में भी मुश्किल आती है जिससे उनका हर दिन चलना-फिरना सीमित हो जाता है। अगर इसका इलाज ना कराया जाए तो उसकी वजह से जोड़ स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि इसकी समय पर पहचान होनी चाहिए, जिससे सोरायटिक आर्थराइटिस के लक्षणों का प्रभावी प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है।"
उन्होंने कहा, "अगर समय पर इसे अपनाया जाए तो उपचार के उन्नत विकल्प जैसे बायोलॉजिक्स भी इस बीमारी का प्रभावी प्रबंधन करने में मददगार हो सकते हैं। मरीजों के लिए यह बेहद जरूरी है कि समय पर उनकी बीमारी का पता चल सके और इलाज में देरी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे आगे चलकर बीमारी और गंभीर रूप ले सकती है। "
सोरायटिक आर्थराइटिस के कुछ संकेत और लक्षण:
उंगलियों या पैर के अंगूठों का सूज जाना: सोरायटिक आर्थराइटिस से ग्रस्त काफी सारे लोगों को डैक्टिलाइटिस की समस्या हो जाती है, इसमें सारी उंगलियों या पैरों के अंगूठों में सूजन हो जाती है।
टेंडन या लिगामेंट में दर्द: सोरायटिक आर्थराइटिस के मरीजों को अक्सर सूजन या दर्द हो जाता है, जहां टेंडन्स या लिगामेंट्स हड्डियों से जुड़े होते हैं।
त्वचा पर रैशेज और नाखूनों में बदलाव: कई सारे मामलों में सोरायटिक आर्थराइटिस के साथ छिलकेदार, चमकीली सफेद रंग के चकत्तेदार पैचेज के साथ मोटी, लाल त्वचा की समस्या जुड़ जाती है। नाखून धब्बेदार हो जाते हैं, संक्रमित नजर आते हैं और कई बार जड़ से पूरी तरह निकल जाते हैं। सोरायसिस और सोरायटिक आर्थराइटिस के ये लक्षण दुर्लभ होते हैं।
थकान: सोरायटिक आर्थराइटिस में अक्सर लोगों को हमेशा थकान और कमजोरी महसूस होती है।
आंखों की समस्या: सोरायटिक आर्थराइटिस से ग्रस्त लोगों की आंखों में सूजन हो सकती है, जिससे आंखों में लालिमा, खुजली और देखने में समस्या या आंखों के आस-पास के टिशूज में लालिमा और दर्द का होना है।