हेल्थ डेस्क: यूनिसेफ के विशेषज्ञों ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 60 फीसदी छात्राएं अपनी पीरियड्स के कारण स्कूल जाना छोड़ देती हैंं। इसका मुख्य कारण पानी और टॉयलेट का इंतजाम न होना। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इन दिनों उन्हें स्वस्थ माहौल दिया जाए तो वे बीमारी और संक्रमण से बच सकती हैं।
यूनिसेफ के विशेषज्ञों के अनुसार, साल 2012 में हुए एक सर्वे में सामने आया कि 86 फीसदी लड़कियां अपनी पहली माहवारी के लिए तैयार नहीं होती हैं क्योंकि उन्हें इसके बारे में पता ही नहीं होता है। वहीं, जानकारी के अभाव में 64 फीसदी लड़कियों के मन में इसके प्रति डर होता है।
वहीं इस बारें में माताओं का कहना है कि लड़कियों को इसके बारे में बताने की क्या जरूरत है, वह स्वयं समझ जाएंगी।
विशेषज्ञों ने बताया कि साल में 24 दिन लड़कियां सिर्फ इसलिए स्कूल नहीं जाती हैं कि माहवारी के दिनों में उन्हें पेट दर्द, दाग दिखने की समस्या, सेनेटरी नैपकिन, स्कूलों में शौचालय व पानी की उपलब्धता नहीं होती है।
यहां तक कि इन पांच दिनों में उनकी दिनचर्या पर फर्क पड़ता है। 44 फीसदी लड़कियां मानती है कि इन दिनों वह बहुत शर्मिंदगी और अपमानित महसूस करती हैं, जबकि 69 फीसदी लड़कियां आने-जाने में रोकटोक को सही मानती हैं।
28 मई को को विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इसका कारण प्रत्येक 28 दिन बाद पांच दिन माहवारी के होते हैं। इसकी सबसे पहले शुरुआत 28 मई 20-13 में शुरु हुआ था। जो कि लगातार चल रहा है। इसको मनाने के कारण लोगों के प्रति इसको लेकर जागरुक फैलाना।
आज भी जागरुकता की अभाव के कई महिलाएं मौत में मंुह में चली जाती है। इसका मुख्य कारण है सैनेटरी पैड के अभाव के कारण राख, मिट्टी, पत्ते, घास आदि का इस्तेमाल करना।
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