A
Hindi News लाइफस्टाइल फीचर नाश्ते की शुरुआत कब और कैसे हुई, जानिए सबसे पहले ब्रकफास्ट में लोग क्या खाते थे?

नाश्ते की शुरुआत कब और कैसे हुई, जानिए सबसे पहले ब्रकफास्ट में लोग क्या खाते थे?

Breakfast History: नाश्ते को सुबह हेल्दी स्टार्ट का सबसे अहम हिस्सा माना जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि लोग हमेशा से नाश्ता करते आ रहे हैं। पिछले कुछ सालों में नाश्ते का चलन तेजी से बढ़ा है। जानिए नाश्ता की शुरुआत कब और कैस हुई? पहले लोग नाश्ते में क्या खाते थे?

नाश्ते की शुरुआत कैसे हुई- India TV Hindi Image Source : SOCIAL नाश्ते की शुरुआत कैसे हुई

दिन की शुरुआत हेल्दी नाश्ते के साथ करने की सलाह दी जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स दिन में 3 मील यानि नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का खाना खाने की सलाह देते हैं। हालांकि ऐसा हमेशा नहीं होता था। पहले लोग दिन में सिर्फ एक वक्त ही खाना खाते थे। एक कहावत है कि अन्न और निद्रा को जितना बढ़ाया जाए ये उतनी ही ज्यादा हो जाती है। पहले जब पूरी दुनिया में अन्न और खाने पीने की चीजों की कमी होती थी तब लोग एक वक्त ही खाना खाते थे। कई रिसर्च में ये भी बात सामने आ चुकी है खाना या उसकी तस्वीर देखने के बाद आपका खाने का मन करने लगता है। यानि अगर आपको खाने से दूर रखा जाए तो हम ज्यादा बार खाने से बचते हैं। आइये जानते हैं नाश्ते की शुरुआत कब और कैसे हुई?

न्यूयॉर्क स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ ह्यूमन इकोलॉजी के प्रोफेसर डेविड लेवित्स्की का कहना है कि अगर आप दिन में सिर्फ एक बार खाना खाते हैं तो इससे शरीर उतना ही स्वस्थ रहता है जितना 3 बार खाने से रह सकता है। वहीं खाद्य इतिहासकार सेरेन चारिंगटन-हॉलिन्स का भी मानना है कि दिन में एक बार खाना ही इंसान के शरीर के लिए काफी है। 

कब और कैसे हुई नाश्ते की शुरुआत?

माना जाता है नाश्ते की शुरुआत प्राचीन यूनानी लोगों ने की थी। यूनान के लोग सुबह शराब में भिगोकर रोटी खाते थे, फिर उसके बाद ये लोग दोपहर में खाना खाते थे और फिर शाम या रात के वक्त भी खाना खाया करते थे। शुरुआत में नाश्ता अभिजात वर्ग की चीज हुआ करता था। 17वीं शताब्दी में नाश्ते का चलन शुरू हुआ था। नाश्ते को विलासिता की चीज माना जाने लगा जिसमें सुबह उठकर आराम से खाने का आनंद लिया जाता था। 

सबसे पहले लोग नाश्ते में क्या खाते थे?

इसके बाद 19वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के दौरान नाश्ते की अवधारणा तेजी से फैलने लगी। लोग काम पर जाने से पहले कुछ खाना खाने लगे। इस तरह दिन में 3 बार खाने का चलन शुरू हुआ। मजदूर वर्गों के लिए नाश्ता काफी सिंपल खाना हुआ करता था, जिसमें लोग स्ट्रीट फूड या रोटी खाया करते थे। हालांकि जब युद्ध के वक्त भोजन की कमी होने लगी तो बहुत सारे लोगों ने नाश्ते के विकल्प को खत्म कर दिया। दिन में तीन बार खाने का ख्याल लोगों के जहन से निकलने लगा। 1950 के दशक में लोग नाश्ते के रूप में सीरियल्स और टोस्ट खाने लगे। 

Latest Lifestyle News