उत्तर बिहार के लाखों लोग हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलते हैं। पानी के प्रचंड आवेग में घर, परिवार, जानवर, फसलें और न जाने कितनों के अरमान तबाह हो जाते हैं। बाढ़ का दर्द और जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने का हौसला इन्हीं लोगों में है। इस दर्द को सिर्फ वही समझ सकता है जो वहां रहता है और हर साल बाढ़ में अपना सबकुछ गंवा बैठने के बाद फिर से जीवन को बुनने लगता है। अगर आप भी इस दर्द को समझना चाहते हैं तो फोटोग्राफर एकलव्य प्रसाद की विजुअल कथा सीरीज 'उत्तर बिहार के दृढ़ता और स्थायी समुदायों के चित्र' नाम से लगने वाली एग्जीबिशन में जाकर समझ सकते हैं। दिल्ली के लोधी रोड स्थित आर्ट गैलरी में 6 से 12 दिसंबर तक सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक ये आर्ट एग्जीबिशन लगने जा रही है।
इस आर्ट एग्जीबिशन का उद्घाटन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की डायरेक्टर जनरल सुनीता नारायण 5 दिसंबर शाम 6 बजे करेंगी। इस उद्घाटन के दौरान राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, नई दिल्ली के सदस्य डॉ. कृष्ण एस. वत्स मुख्य अतिथि होंगे। इस प्रदर्शनी में उत्तर बिहार के समुदायों की अनकही दृढ़ता को दर्शाया जाएगा। जो हर साल बाढ़ की तबाही का सामना करते हैं।
प्रदर्शनी में क्या होगा खास
इस आर्ट प्रदर्शनी के जरिए लोगों को बाढ़ के जटिल आयामों को दिखाने और महसूस कराने की कोशिश की जाएगी। जिसमें विभिन्न प्रकार की बाढ़ से लेकर नदी के पानी के बढ़ने तक की अलग अलग पिक्चर शामिल होंगी। इस प्रदर्शनी में बाढ़ से प्रभावित क्षेत्र, वहां रहने वाले लोग, उनके जीवन की कठिनाइयों और अस्थाई आवास में रहने वाली जिंदगी के बारे में दिखाया जाएगा। प्रदर्शनी में दिखाने की कोशिश की जाएगी कि कैसे घर, खेत और बुनियादी ढांचा हर चीज उफनते पानी के बल के आगे झुक जाती हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी लोग इस दर्द को झेलते आ रहे हैं। इन चुनौतियों को बीच अस्तित्व की एक उल्लेखनीय कहानी उभरती है, जिसे इस कला प्रदर्शनी में दिखाया जाएगा।
कौन हैं एकलव्य प्रसाद
एकलव्य प्रसाद एक सामाजिक विकास से जुड़े पेशेवर फोटोग्राफर हैं, जो ग्रामीण परिदृश्यों और पर्यावरणीय प्रतिकूलताओं का सामना कर रहे समुदायों की जटिलताओं को कैप्चर करने और वर्णन करने के लिए जाने जाते हैं। पिछले 29 सालों से वो सामाजिक विकास के लिए काम कर रहे हैं। वो अपनी फोटोग्राफी के जरिए लोगों को में जागरूकता बढ़ाने और जल असुरक्षा, बाढ़ प्रभावित इलाकों में स्वच्छता और कंटेक्सुअल क्लाइमेट रेजिलेंस को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं। 2005 में एकलव्य ने बिहार और झारखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को पानी, भोजन और जरूरी चीजें पहुंचाने का काम शुरू किया था।
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