Mirza Ghalib Birth Anniversary: आज (27 दिसंबर) महान शायर मिर्जा गालिब की जयंती है। उनका जन्म 27 दिसंबर 1797 को आगरा में हुआ था। उनका पूरा नाम मिर्जा असद उल्लाह बेग खां था। उनको बचपन से ही कविताएं और शायरी लिखने का शौक था। उन्होंने महज 11 साल की उम्र में कविताएं लिखना शुरू कर दिया था। वे अपनी शायरी के लिए न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर हैं। आज भी उनकी शायरी लोगों के दिल के काफी करीब हैं। ऐसे में मिर्जा गालिब की जयंती पर आज हम आपके लिए लेकर आए हैं उनकी लिखी हुई मशहूर शायरी आइए जानते हैं।
जानिए मिर्जा गालिब के वो 10 शेर, जो आज भी लोगों के दिल के करीब हैं
1. इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
2. मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
3. मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
4. मैं नादान था जो वफा को तलाश करता रहा गालिब,
यह न सोचा के एक दिन अपनी सांस भी बेवफा हो जाएगी
5. बे-वजह नहीं रोता इश्क में कोई गालिब,
जिसे खुद से बढ़कर चाहो वो रूलाता जरूर है.
6. फिर उसी बेवफा पे मरते हैं,
फिर वही जिंदगी हमारी है.
बेखुदी बेसबब नहीं ‘गालिब’,
कुछ तो है जिस की पर्दादारी है.
7. जरा कर जोर सीने पर की तीर-ऐ-पुरसितम निकले जो,
वो निकले तो दिल निकले, जो दिल निकले तो दम निकले.
8. तेरी दुआओं में असर हो तो मस्जिद को हिला के दिखा,
नहीं तो दो घूंट पी और मस्जिद को हिलता देख.
9. कासिद के आते-आते खत एक और लिख रखूं,
मैं जानता हूं जो वो लिखेंगे जवाब में
10. रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
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