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Hindi News लाइफस्टाइल फीचर Lal Bahadur Shastri: घर चलाने के लिए अखबारों में लिखते थे लाल बहादुर शास्त्री, जानें पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़ा रोचक किस्सा

Lal Bahadur Shastri: घर चलाने के लिए अखबारों में लिखते थे लाल बहादुर शास्त्री, जानें पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़ा रोचक किस्सा

Lal Bahadur Shastri: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जैसा सादगीपूर्ण व्यक्तित्व भारतीय राजनीति में विरले ही देखने को मिला।

Lal Bahadur Shastri:- India TV Hindi Image Source : SOURCE Lal Bahadur Shastri:

Lal Bahadur Shastri: लालबहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 में मुगलसराय में हुआ था। आज उनकी जयंती है। साफ छवि और सादगीपूर्ण व्यक्तित्व के लिए मशहूर इस नेता के जीवन से आज के युवा बहुत कुछ सीख सकते हैं। सच कहें तो लाल बहादुर शास्त्री का पूरा जीवन ही एक सीख है। कैसे आभावों में रहने वाला एक बच्चा अपनी कठोर मेहनत के बल पर भारत का प्रधानमंत्री बना। ये सफर आज भी प्रेरणादायक है। लालबहादुर शास्त्री के जीवन से हमें संयम, सादगी, मितव्ययिता की सीख मिलती है। उनके जीवन के कई ऐसे अहम पहलु हैं, जिन्हें आज भी लोग बहुत कम जानते हैं।

जब प्रधानमंत्री होते हुए लिखे अखबारों में लेख

आज के राजनेताओं की छवि लंबे-चौड़े काफिले के साथ गाड़ियों में बैठे शख्स के तौर पर होती है। लेकिन लालबहादुर शास्त्री ऐसे नहीं थे। उन्होंने प्रधानमंत्री होते हुए एक भी रुपये का गलत फायदा नहीं उठाया। प्रधानमंत्री रहने के दौरान उन्हें  500 रुपए तनख्वाह मिलती थी। इतने में उनके घर के सभी सदस्यों का गुजर-बसर संभव न था। इसलिए वे पद पर रहते हुए भी अखबारों में लेख लिखा करते थे। इसी अतिरिक्त आय से वह अपना परिवार चला पाते थे। अपनी मेहनत के बल पर ही वे कर्तव्यनिष्ठ और नैतिक बने रहे।

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जरूरत पड़ने पर ही ऑन करते थे बल्ब

शास्त्री जी ने एक बार नेहरू मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया था।  उस समय वह सरकारी सुविधा को किनारे कर अधिकतर खर्च खुद वहन करने लगे। इसी क्रम में वह घर के तमाम बल्ब बंद रखते थे। बल्ब सिर्फ अंधेरा होने के बाद जरूरत के हिसाब से ऑन किए जाते ताकि बिजली बिल ज्यादा न देना पड़े। भारत-पाक युद्ध के दौरान जब अमेरिका से शास्त्री जी को धमकी मिली कि यदि आप पाक युद्ध बंद नहीं करेंगे तो भारत को गेहूं भेजना बंद कर दिया जाएगा। दरअसल, उस वक्त भारत गेहूं उत्पादन में आत्मनिर्भर न था। इस समस्या का समाधान खोजने लिए उन्होंने सर्वप्रथम अपने घर के सदस्यों से कहा कि हम लोग हफ्ते में एक वक्त भोजन नहीं करेंगे। इसी फॉर्मूले को उन्होंने भारत की जनता से अपनाने की अपील की ताकि अमेरिका के आगे झुकना न पड़े। शास्त्री की अपील का असर हुआ और लोगों ने व्रत रखकर कई किलो अनाज देश के लिए बचाया।

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