World Photography Day 2020: 194 साल पहले ली गई थी दुनिया की पहली तस्वीर, जानें फोटोग्राफी के बारे में रोचक बातें
19 अगस्त को हर साल वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे क्या है कारण। इसके साथ ही जानिए कि पहली तस्वीर कैमरे से किसने और कब खींची।
हमेशा हम कहते हैं कि हर एक पल को कैमरे में कैद कर लो। जो आगे चलकर आपकी मुस्कराट का एक जरिया भी बन जाती हैं। वह आपकी हर एक भावना को व्यक्त करती है। एक तस्वीर के द्वारा किसी भी खुसी , गम या फिर त्रासदी को अच्छी तरह से व्यक्त किया जा सकता है। आज के समय की बात करें तो सोशल मीडिया में तस्वीरों को अपना एक अलग ही महत्व है। एक तस्वीर को खींचने के लिए न जाने कितने तरह के हाईटेक कैमरे मौजूद है। लेकिन प्राचीन काल की बात की जाए तो इंसान अपने विचार, इतिहास, आर्थिक, राजनीतिक स्थितियों को चित्रों के द्वारा बी बयां करता था जोकि घर की दीवारों, पेड़ों, पत्थरों आदि में बनाई जाती थी। 19 अगस्त को हर साल वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे क्या है कारण। इसके साथ ही जानिए कि पहली तस्वीर कैमरे से किसने और कब खींची।
ऐसे हुई फोटोग्राफी की शुरुआत
फोटोग्रॉफी का पूरा श्रेय फ्रांस के लुई जैक मांडे डॉगेर और निसेफोर नीप्स को जाता है। साल 1824 में निसेफोर नीप्स ने हीलियोग्राफी नाम के पहले फोटोग्रॉफी प्रोसेस का आविष्कार किया था। तब पूरे फिल्मिंग प्रोसेस में कई दिन लगते थे। बाद में नीप्स ने अपने साथ लुई जैक मांडे डेगर को मिलाया और 1832 में दोनों ने मिलकर पूरी फिल्मिंग प्रक्रिया के समय को कम करके एक दिन कर दिया।
साल 1826 में ली गई थी दुनिया की पहली तस्वीर
दुनिया की पहली तस्वीर 1826 में ली गई थी। यह तस्वीर एक खिड़की से ली गई थी जिसे फ्रेंच वैज्ञानिक निसेफोर नीप्स ने लिया था। तस्वीर को हकीकत में बनाने का श्रेय वैज्ञानिक निसेफोर नीप्स और लुइस डॉगेर को ही जाता है। इन्होंने डॉगोरोटाइप प्रक्रिया का आविष्कार किया था। उस वक्त इस तस्वीर को लेने में पूरे 8 घंटे लगे थे।
साल 1861 में ली गई पहली रंगीन फोटो
स्कॉटलैंड के भौतिक शास्त्री क्लर्क मैक्सवेल ने लंबे समय रंगीन तस्वीर को तैयार करने की प्रक्रिया पर काम किया। जिसके बाद 1861 में दुनिया की पहली रंगीन तस्वीर ली थी जोकि एक फीते की थी। जिसका रंग लाल, नीला और पीला था।
19 अगस्त को वर्ल्ड फोटोग्राफी डे मनाने का कारण
हर साल 19 अगस्त को दुनियाभर में वर्ल्ड फोटोग्रॉफी डे मनाया जाता है। साल 1833 में निसेफोर नीप्स की मौत हो गई जिसके बाद साल 1838 में डॉगेर ने फोटोग्रॉफी का अपना प्रोसेस डिवेलप किया जिसे 'डगेरोटाइप' के नाम से जाना गया। जिसमें फिल्मिंग का पूरे प्रोसेस करने पर करीब 30 मिनट लगते थे।
9 जनवरी, 1839 को फ्रेंच अकैडमी ऑफ साइंसेज ने डगेरोटाइप प्रोसेस की घोषणा की। इसके साथ ही 19 अगस्त को फ्रांसीसी सरकार ने इसका पैटंट खरीद लिया और इस आविष्कार को दुनिया के लिए एक उपहार बताया। जिसके कारण 19 अगस्त को वर्ल्ड फोटोग्रॉफी डे के रूप में मनाया जाने लगा।
साल 1839 से आम लोगों की तस्वीरे भी खींची जाने लगी थी। जिसमें काफी बड़े कैमरों का इस्तेमाल किया गया। इसकी मदद से ब्लैड एंड व्हाइट तस्वीर खिंची जा सकती थी। यह साल फोटोग्राफी के लिहाज से सबसे अहम माना गया।
साल 1872 में खिंची गई फर्स्ट मोशन पिक्चर
दुनिया में पहली मूवमेंट वाली तस्वीर को कैप्चर करने में 6 साल का समय लगा। इसकी शुरुआत फोटोग्राफर एडवर्ड मुएब्रिज ने 1872 में की थी। उन्होंने घोड़ों का हर मूवमेंट कैमरे में कैद करने के लिए रेसट्रैक पर 12 वायर कैमरे लगाए। 6 साल की मेहनत के बाद जमीन को छुए बगैर घोड़ों की तस्वीरों को कैद किया गया। इसे फर्स्ट मोशन पिक्चर भी कहा गया।