महिला दिवस: औरतों की खूबियां जो उन्हें बनाती हैं दुनिया में 'परफेक्ट'
दुनिया में नई रचना करने का अधिकार ईश्वर ने केवल महिलाओं को ही दिया है। पुरुष सृजन का हिस्सा तो बन सकते हैं लेकिन सृजन की सारी प्रक्रिया औरत के जरिए ही होती है। ये दुनिया का सबसे बड़ा प्रमाण है।
आठ मार्च को दुनिया भर में महिला दिवस मनाया जा रहा है। हमारे समाज में हमेशा ही यही कहा जाता रहा है कि औरतें मर्दों के बराबर नहीं हो सकती, औरतों की क्षमता और उनके जज्बे ने इस बात को पलट कर दिखाया है। कुछ नहीं बल्कि बहुत सी चीजों में औरतें मर्दों के बराबर ही नहीं उनसे आगे निकल चुकी हैं। औरतों की कई ऐसी खूबियां है जो आमतौर पर मर्दों में देखने को नहीं मिलती। आज हम औरतों की उन्हीं खूबियों के बारे में जिक्र करते हैं जो उन्हें मजबूत और परफेक्ट बनाती हैं।
रचयिता हैं औरतें
दुनिया में नई रचना करने का अधिकार ईश्वर ने केवल महिलाओं को ही दिया है। पुरुष सृजन का हिस्सा तो बन सकते हैं लेकिन सृजन की सारी प्रक्रिया औरत के जरिए ही होती है। ये दुनिया का सबसे बड़ा प्रमाण है।
मल्टी टास्कर
घर, बच्चे, नौकरी एक साथ संभालना किसी मर्द के बस की बात नहीं है। ऐसा मल्टीटास्किंग काम सिर्फ औरतें ही कर सकती है। भारत में भी ऐसी वर्किंग वीमेंस की तादात में इजाफा हुआ है, जो घर भी संभालती हैं। औरतें खाना बनाते वक्त फोन भी अटैंड कर सकती हैं, बच्चे को लेकर संसद में भाग भी ले सकती हैं। यानी एक साथ कई काम संभालना औऱतों का ऐसा गुण है जहां मर्द चाह कर भी उसकी बराबरी नहीं कर सकते।
दुख दर्द समझना
आपको कभी अस्पताल जाना पड़ा हो तो देखा होगा, मरीज सिस्टर को पुकारते रहते हैं। हालांकि नए दौर में मेल नर्स भी काफी आ गए हैं लेकिन नर्सिग के पेशे में सबसे ज्यादा औरतें जाती हैं। वजह यही है कि औऱतें दुख और दर्द को देखकर संवेदनशील हो जाती हैं औऱ दिल से मदद करती हैं। आपने मनोचिकित्सक के पद पर भी अधिकतर औरतों को देखा होगा, महिलाएं अच्छी और सच्ची लिसनर हैं, वो बातें करने में माहिर होती हैं औऱ इसीलिए वो मरीजों को प्रोत्साहित करने में सफल होती हैं।
पारखी
यूं तो जौहरी को ही हीरे का पारखी कहा जाता है लेकिन दुनिया में दूसरा सच्चा पारखी औऱतें हैं। औरतें चीजों को परखनें में मर्दों से ज्यादा होशियार होती हैं। उनकी छठी इंद्री काफी तेज होती है और वो इंसान की शक्ल देखकर चरित्र समझ जाती हैं।
स्ट्रेस निकालने में माहिर
औरतें अपने भीतर गुबार नहीं भरतीं। जब वो परेशान होती हैं तो रोकर वो अपने भीतर के दर्द को बाहर निकाल देती हैं। इससे उनका मन निश्चल हो जाता है। जबकि रोने के मामले में पुरुष कमजोर होते हैं इसलिए उनके व्यवहार में अक्सर उग्रता देखी जाती है।
दर्द सहने की क्षमता
दर्द सहने की बात आएगी तो आप भी यकीनन औऱतों को फुल नंबर देंगे। दुनिया में सबसे ज्यादा पीढ़ादायक होती है जन्म देने की प्रक्रिया। औरतें इस लेबर पेन को सह लेती हैं जबकि कई ऐसे प्रयोग किए जा चुके हैं जब मर्दों ने इस तरह के दर्द को सहने की कोशिश की और फेल हो गए।
लंबी उम्र
महिलाओं की उम्र पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा लंबी होती है। साइंस कहता है कि औरतें चूंकि अपने मन में अवसाद, गुस्से और दर्द को आंसुओं के जरिए निकाल देती हैं, इसलिए उनकी नसें मजबूत होती हैं और इसी कारण वो पुरुषों से ज्यादा जीती हैं।