लेह लद्दाख में कल से दो दिवसीय मोनेस्टिक उत्सव यानी थिकसे महोत्सव शुरू हो गया है। इसे थिकसे गुस्टोर के नाम से भी जाना जाता है और इसे कल पारंपरिक रूप से लेह की प्रसिद्ध थिकसे मोनेस्टरी (मठ) में शुरू किया गया।
मध्यकालीन युग की धरोहरों को संजो कर रखने वाली और इस युग को दिखाती थिकसे मोनेस्ट्री लेह से 19 किलोमीटर दूर है और यहां हर साल दो दिवसीय थिकसे महोत्सव मनाया जाता है जिसमें बौद्ध अनुनायियों के साथ साथ विदेशी भी जोर शोर से भाग लेते हैं।
थिकसे मठ के पूर्ववर्ती इलाकों में आयोजित होने वाले इस सलाना उत्सव को गुस्टोर अनुष्ठान के रूप में भी जाना जाता है। उत्सव के समय की बात करें तो ये तिब्बती कैलेंडर (अक्टूबर-नवंबर) के नौवें महीने के 17 वें से 19 वें दिन तक आयोजित किया जाता है।
पारंपरिक रूप से मनाए जाने वाले इस उत्सव में मुखौटा नृत्य या चाम नृत्य जैसे पारंपरिक और सामूहिक नृत्य शामिल किए जाते हैं।
थिकसे मोनेस्ट्री के आस पास के इलाकों में भी इस आयोजन की धूम रहती है औऱ इन इलाकों में इन दो दिनों में व्यापार मेला भी लगता है। इस मेले में लद्दाख के सभी ग्रामीण एकत्र होते हैं।
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