इंसान से लेकर पर्यावरण तक, हर किसी के लिए खलनायक बन गया है प्लास्टिक, जाने इसके खतरे
आखिर कैसे सिंगल प्लास्टिक का यूज करना हमारे पर्यावरण के साथ-साथ हमारी सेहत के लिए कितना खतरनाक है। साथ ही जानें किस तरह इससे बनाएं दूरी।
भारत सरकार पर्यावरण को नुकसान होने से बचाने के लिए 2 अक्टूबर यानी कि गांधी जयंती के मौके में सिंगल यूज प्लास्टिक Single use plastic पर बैन Plastic Ban लगा देगी। अब सिंगल यूज प्लास्टिक बंद हो जाएगी तो हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। जिसके कारण हम मन ही मन सोच रहे है कि क्या सरकार को इसे बैन करना जरुरी है। अगर आपके भी दिमाग में कुछ ऐसा ही चल रहा है तो हम आपको बता दें कि आखिर कैसे सिंगल प्लास्टिक का यूज करना हमारे पर्यावरण के साथ सेहत के लिए कितना खतरनाक है।
क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक ?
अब सबसे बड़ी आती है कि आखिर सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है? आपको बता दें कि इस प्लास्टिक से वो थैलियां बनती है जिनमे आप रोजाना सब्जियां या फिर और कोई समान लेकर आते है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल कटोरी, छोटी बोतले, स्ट्रा और कुछ पाउच में किया जाता है। इस प्लास्टिक का इस्तेमाल सिर्फ एक बार किया जाता है जिसके बाद इसे फेंक देते है। जो आपकी सेहत के लिए काफी खतरनाक है।
सिंगल यूज प्लास्टिक के नुकसान
आपको बता दें कि इस प्लास्टिक में ऐसा केमिकल पाया जाता है। जो सिर्फ इंसानों ही नहीं बल्कि पर्यावरण के लिए सबसे बढ़ा खतरा है। बारिश के मौसम में इस प्लास्टिक के कारण मिट्टी में अधिक मात्रा में कटाव होते है। जिसके साथ ये खतरनाक केमिकल नदी, तालाब आदि में पहुंच जाता है। जिससे सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि पानी में रहने वाले जीव-जंतु पर भी बुरा असर पड़ता है।
- एक रिपोर्ट की माने तो हर साल करीब 11 लाख समुद्री जीव-जंतु इस प्लास्टिक की वजह से मौत का शिकार हो जाते हैं। क्योंकि जब इस प्लास्टिक के टुकड़े समुद्र में पहुंचते है तो शरीर में फंस जाते है और कई जीव-जंतु खाना समझ कर इसका सेवन कर लेते है। जिसके काण उनकी मौत हो जाती है।
- इससे सिर्फ जानवरों की मौत हीं नहीं होती है बल्कि एक रिपोर्ट के अनुसार 700 समुद्री जीव इस प्लास्टिक के कारण विल्प्त हो चुके है। जो हमारे लिए एक चिंता का विषय है।
- एक रिसर्च के अनुसार दुनियाभर में केवल 9 बिलियन टन प्लास्टिक का सिर्फ 9 प्रतिशत ही रिसाइकल किया गया है। जिसके कारण अधिकांश प्लास्टिक लैंडफिल, महासागरों और जलमार्ग में जाता है। जिससे हमें सबसे ज्यादा नुकसान होता है। प्लास्टिक को बायोडिग्रेड नहीं किया जा सकता है बल्कि ये छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाता है जिसे माइक्रोप्लास्टिक कहते है।
- प्लास्टिक कभी घुलती नहीं है जिसके कारण यह हजारों साल ऐसे ही पड़ी रहती है। जिसके कारण यह पानी ही नहीं बल्कि मिट्टी के लिए भी खतरनाक है।
- अगर आप सोचते है कि इससे हमें क्या नुकसान तो आपको बता दें कि एक इंसान औसतन हर साल 70 हजार माइक्रोप्लास्टिक का सेवन कर जाता है। यह बात इंग्लैंड के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी में बताया।
क्या करें आप
ऐसे में आपके दिमाग में हम घूम रहा होगा कि आखिर ऐसा क्या किया जाए जिससे सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल न करना पड़े। इसलिए हम आपको बताने जा रहे है कुछ ऐसे ही टिप्स।
- आप सिंगल यूज प्लास्टिक की थैलियों के बदले कॉटन, जूठ, नेट, शॉपिंग बैग या फिर कागज के लिफाफों का इस्तेमाल करना शुरू कर दें।
- आप खुद का एक मग लेकर चले। या फिर अगर आप बाहर कुछ खा पी रहे हैं तो ऐसे चीजों का इस्तेमाल करें जिससे आप दोबारा यूज कर सके।
- ऐसे बोलत और स्ट्रा का यूज करने से बचे। जिससे रिसाइकल न किया जा सके।
- जब भी आप कुछ खरीदने जाए तो थोक में खरीदे। जिससे कि प्लास्टिक की पैकेजिंग कम होगी।
- हमेशा ऐसे संस्थाओं या प्रतिष्ठानों का समर्थन करें जो प्लास्टिक को रिसाइकिल करने का विकल्प रखते हो।
- हमेशा कोशिश करें कि प्लास्टिक का यूज न करें। इससे जीरो प्लास्टिक वेस्ट होगा। जिससे पर्यावरण के साथ-साथ आपकी सेहत भी सही रहेगी।
- बर्थडे या फिर किसी पार्टी में गुब्बारों का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी जगह आप इको फैंडली डेकोरेशन का यूज करें।