A
Hindi News लाइफस्टाइल फीचर स्वामी दयानंद सरस्वती के कुछ अनमोल विचार जो आपके जीवन को देंगे एक नई दिशा

स्वामी दयानंद सरस्वती के कुछ अनमोल विचार जो आपके जीवन को देंगे एक नई दिशा

हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर आर्य समाज के संस्थापक महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती मनाई जाती है।

swami dayanand saraswati- India TV Hindi swami dayanand saraswati

हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर आर्य समाज के संस्थापक महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती मनाई जाती है। दयानंद सरस्वती आर्य समाज के संस्थापक, समाज-सुधारक और देशभक्त थे। उन्होंने समाज में फैली बाल विवाह, सती प्रथा जैसी समाजिक बुराईयों को जड़ से उखाड़  फेंकने के लिए काफी प्रयास किए थे। 

स्वामी दयानंद जयंती का जन्म 18 फरवरी 1824 को गुजरात के टंकारा में हुआ था। उनका जन्म मूल नक्षत्र में हुआ था। जिसके कारण इनका नाम मूलशंकर रखा गगया था। वेदों से प्रेरणा लेकर स्वामी गयानंद सरस्वती ने सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया था। इसके साथ ही 1875 में आर्य समाज की स्थापना की थी। 

आर्य समाज का आदर्श वाक्य है, 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्, जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य बनाते चलो। आर्य समाज का समाज सुधार के अलावा आजादी के आंदोलन में अहम योगदान रहा  जिसके कारण इस समाज को क्रांतिकारियों को अड्डा कहा जाता था। 

महाशिवरात्रि 2020 पर इस तरह करें भोलेनाथ को प्रसन्न, यह है पूजा विधि और शुभ मुहूर्त 

आइए जानते है कि स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती पर उनके कुछ अनमोल विचार। जिन्हें अपनाकर आप एक नई दिशा पा सकते हैं। 

नुकसान से निपटने में सबसे जरूरी चीज है उससे मिलने वाले सबक को ना भूलना। वो आपको सही मायने में विजेता बनाता है।

लोगों को कभी भी चित्रों की पूजा नहीं करनी चाहिए। मानसिक अंधकार का फैलाव मूर्ति पूजा के प्रचलन की वजह से है।

किसी भी रूप में प्रार्थना प्रभावी है क्योंकि यह एक क्रिया है। इसलिए, इसका परिणाम होगा। यह इस ब्रह्मांड का नियम है जिसमें हम खुद को पाते हैं।

वह अच्छा और बुद्धिमान है जो हमेशा सच बोलता है, धर्म के अनुसार काम करता है और दूसरों को उत्तम और प्रसन्न बनाने का प्रयास करता है।

वास्तु टिप्स: दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं रखने चाहिए पौधे, आती है नकारात्मक ऊर्जा

जीवन में मृत्यु को टाला नहीं जा सकता। हर कोई ये जानता है, फिर भी अधिकतर लोग अन्दर से इसे नहीं मानते- ‘ये मेरे साथ नहीं होगा।’ इसी कारण से मृत्यु सबसे कठिन चुनौती है जिसका मनुष्य को सामना करना पड़ता है।

लोगों को भगवान को जानना और उनके कार्यों की नक़ल करनी चाहिए। पुनरावृत्ति और औपचारिकताएं किसी काम की नहीं हैं।

धन एक वस्तु है जो ईमानदारी और न्याय से कमाई जाती है। इसका विपरीत है अधर्म का खजाना।

उपकार बुराई का अंत करता है, सदाचार की प्रथा का आरम्भ करता है, और  लोक-कल्याण तथा सभ्यता में योगदान देता है।

आत्मा अपने स्वरुप में एक है, लेकिन उसके अस्तित्व अनेक हैं।

Latest Lifestyle News