Maharana Pratap Jayanti 2020: महान योद्धा महाराणा प्रताप के अनमोल विचार, जो देंगे आपको जीवन जीने का सबक
महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे। उनका स्वाभिमान, पराक्रम, वीरता, साहस के सामने बड़े से बड़े युद्धाओं ने घुटने टेक दिए थे। पढ़ें उनके कुछ अमोल विचार।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 9 मई 1540 में महान योद्धा, अद्भुत साहस के प्रतीक महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। वहीं हिंदू कैलेंडर की बात करें तो ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को जन्म हुआ था। जिसके अनुसार 25 मई को महाराणा प्रताप जंयती मनाई जाएगी। राजस्थान का राजपूत समाज का एक बड़ा तबका उनका जन्मदिन हिन्दू तिथि के हिसाब से मनाता है।
वैसे तो महाराणा प्रताप ने मुगलों से कई लड़ाइयां लड़ीं लेकिन सबसे ऐतिहासिक लड़ाई थी- हल्दीघाटी का युद्ध। इस युद्ध में मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना से आमना-सामना हुआ। जिसमें अकबर के पास 85000 सैनिक थे और महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20 हजार सैनिक थे। इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे। यह जंग 18 जून 1576 में लड़ी गई थी। महाराणा प्रताप के पास सबसे प्रिय चेतक नाम का एक घोड़ा था। उसकी फुर्ती, रफ्तार और बहादुरी की कई लड़ाइयां जीतने में अहम भूमिका निभाई थी।
महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे। उनका स्वाभिमान, पराक्रम, वीरता, साहस के सामने बड़े से बड़े युद्धाओं ने घुटने टेक दिए थे। आइए जानते है कि महाराणा प्रताप की जयंती में उनके कुछ खास विचार। जो आपको जिंदगी के लिए एक अच्छा सबक होगे।
महाराणा प्रताप के अनमोल विचार
प्रत्येक मनुष्य का गौरव एवं आत्मसम्मान उसकी सबसे बड़ी कमाई होती है। इसलिए सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए।
जो मनुष्य विकट से विकट परिस्थितियों में भी झुकते नहीं हैं, हार नहीं मानते, वह हार कर भी जीत जाते हैं।
कष्ट, विपत्ति और संकट हमारे जीवन को मजबूत और अनुभवी बनाते हैं। इनसे घबराना या दूर भागना नहीं चाहिएं बल्कि धैर्य और प्रसनन्नतापूर्वक इनका सामना करना चाहिएं।
समय बहुत बलवान होता है। यह एक राजा को भी घास की रोटियां खिला सकता है।
सत्य, परिश्रम और धैर्ये सुखमय जीवन के साधन है। परन्तु अन्याय के प्रतिकार के लिए हिंसा भी उतनी ही जरूरी है।
जो सुख मे अतिप्रसन्न और विपत्ति से डर कर झुक जाते हैं, उन्हे ना ही सफलता मिलती है और न ही इतिहास मे जगह।
अपनों से बड़ों के आगे झुक कर समस्त संसार को झुकाया जा सकता है।
अपने और अपने परिवार के अलावा जो अपने राष्ट्र के बारे मे सोचे वही सच्चा नागरिक होता है।
अपने कर्मो से वर्तमान को इतना विशवास दिला दो कि वो भविष्य को भी अच्छा होने पर मजबूर कर दे।
सम्मानहीन व्यक्ति मुर्दे के सामान है।
एक शासक का पहला कर्तव्य अपने राज्य का गौरव और सम्मान बचाने का होता है।