नई दिल्ली: जब कोई व्यक्ति परिवार में या अन्य कही मर जाता है तो उस मृतक का अंतिम संस्कार करके उसकी अस्थियां किसी गंगा जैसी पवित्र नदी में विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन आज तक हम लोग यह नही समझ हाए कि इसके पीछें कारण क्या है। आखिर नदियों में ही क्यों अस्थियों का विसर्जन किया जाता है। हम बडी ही श्रद्धा के साथ यह काम करते है। इसके पीछे का कारण हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों और पुराणों में दिया गया है कि आखिर ऐसा क्यो किया जाता है। इस बारें में पूर्ण जानकारी कुर्म पुराण में ही गई हैं। पुराणों के अनुसार मृतक की अस्थियों को फूल कहते हैं। इसमें अगाध श्रद्धा और आदर का भाव निहित होता है। साथ ही इसका वैज्ञानिक कारण भी माना जाता है। जानिए अस्थियों को पवित्र नदियों में विसर्जन करनें का कारण।
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कुर्म पुराण में इस श्लोक से बताया गया है कि ऐसा क्यों किया जाता हैं।
यावदस्थीनि गंगायां तिष्ठन्ति पुरुषस्य तु।
तावद् वर्ष सहस्त्राणि स्वर्गलोके महीयते।।
तीर्थानां परमं तीर्थ नदीनां परमा नदी।
मोक्षदा सर्वभूताना महापातकिनामपि।।
सर्वत्र सुलभा गंगा त्रिषु स्थानेषु दुर्लभा।
गंगाद्वारे प्रयागे च गंगासागरसंगमे।।
सर्वेषामेव भूतानां पापोपहतचेतसाम्।
गतिमन्वेषमाणानां नास्ति गंगासभा गति:।।
इस श्लोक के अनुसार कहा गया है कि जितने साल तक मृतक की अस्थियां गंगा जैसी पवित्र नही में रहती हैं, उतने हजारों साल तक उसकी पूजा स्वर्गलोक में की जाती है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि मां गंगा सभी नदियों में से पवित्र है। इसके जल को छूनें मात्र से सभी पाप धुल जातें है। इसका जल ऐसा होता है कि चाहें जितना बड़ा पापी हो। उसकी अस्थियों को इसके जल में डालनें से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हो। मोक्ष के लिए हरिद्वार, प्रयाग और गंगासागर इन तीनो स्थानों में दुर्लभ है। अगर आप उत्तम गति की इच्छा रखते है तो गंगा नही के तरह कोई दूसरी गति नही है।
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