मार्केट के ब्यूटी प्रोडक्ट्स का करते हैं ज्यादा यूज, तो जान लीजिए ये कड़वी सच्चाई
बालों को रंगना, यानी कलर करना कोई नई बात नहीं है। पुराने समय से ही मेहंदी, अखरोट और इंडिगो बालों को कलर और चमक देने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता रहा है। लेकिन वर्तमान समय में बालों को रंगना एक फैशन भी हो गया है। कभी स्टाइल के लिए तो कभी उम्र छिपाने के लिए बालों को कलर करने का फैशन चलन में है।
हेल्थ डेस्क: बालों को रंगना, यानी कलर करना कोई नई बात नहीं है। पुराने समय से ही मेहंदी, अखरोट और इंडिगो बालों को कलर और चमक देने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता रहा है। लेकिन वर्तमान समय में बालों को रंगना एक फैशन भी हो गया है। कभी स्टाइल के लिए तो कभी उम्र छिपाने के लिए बालों को कलर करने का फैशन चलन में है।
कलरमेट के निदेशक आशीष गुप्ता ने कहा, "गोल्डन, रेज, डार्क ब्राउन, पर्पल और कई तरह के रंगों के चॉक भी मिलने लगे हैं, जिन्हें अपनी ड्रेस से मैच कर पार्टी में स्टाइलिश नजर आ सकते हैं। इतना ही नहीं, आज के लोग हेयरफॉल की समस्या से भी परेशान हैं, जिससे बचने के लिए भी बालों पर तरह-तरह के प्रयोग करते रहते हैं एवं बाल उगाने एवं हेयरफॉल को रोकने के लिए भांति-भांति के क्रीम, लोशन आदि का इस्तेमाल करते हैं।"
उन्होंने कहा, "बालों के गिरने और रूसी की समस्या के लिए हम मौसम और खान-पान को भले ही दोषी ठहराते हैं, जबकि इसकी एक वजह कलरिंग भी होती है। यानी, ज्यादातर केमिकल वाले हेयर कलर एवं लोशन बालों और त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं। केमिकल वाले हेयर कलर एक बार थोड़ा सा भी इस्तेमाल करने पर बाकी बचे काले बाल भी अपने आप सफेद हो जाते हैं। कुल मिलाकर केमिकल वाले हेयर कलर के कई दुष्परिणाम होते हैं, जोकि धीरे-धीरे समस्याएं बनकर सामने आते हैं।"
आशीष गुप्ता ने कहा, "दरअसल, केमिकल से बने हेयर कलर का इस्तेमाल करने से बालों का नेचुरल कलर जहां गायब हो जाता है, वहीं बालों की ड्रायनेस भी बढ़ जाती है। साथ ही केमिकल वाले हेयर कलर से त्वचा, रक्त संक्रमण, खाज खुजली, बालों के टूटने, झड़ने, एलर्जी होने का भय भी बना रहता है। केमिकल वाले हेयर कलर हमेशा बालों को कुछ दिनों तक काले रखते हैं, लेकिन बालों एवं त्वचा को नुकसान बहुत ज्यादा पहुंचाते हैं।"
उन्होंने कहा, "अच्छा दिखने के लिए हम अक्सर बेहतर का ही चयन करते हैं, लेकिन उससे होने वाले नुकसान पर हम प्राय: ध्यान नहीं देते। जबकि, हेयर केयर बेहद आवश्यक है, लेकिन यह कतई जरूरी नहीं है कि इसके लिए केमिकल तत्वों वाली क्रीम या उत्पाद ही इस्तेमाल किए जाएं। हालांकि, बाजार में अमोनिया रहित या प्राकृतिक हेयर कलर भी मौजूद हैं, जो इसमें मददगार हैं और बालों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते। ऐसे में नेचुरल हेयर कलर को अपनाना ही बालों की सेहत के साथ आपकी विभिन्न शारीरिक व मानसिक समस्याओं से निजात दिलाने में कारगर साबित होती है।"
नेचुरल हेयर कलर के लिए बाजार में कलरमेट का खास प्रोडक्ट, यानी नो अमोनिया हेयर केयर श्रृंखला उपलब्ध है। कलरमेट की यह पाउडर कलर रेंज लोगों को एक प्राकृतिक रंग का स्थायी उपाय प्रदान करता है, क्योंकि पाउडर कलर बालों व इसके उपभोक्ताओं के लिए सर्वश्रेष्ठ व आसान उपाय हैं, जो बालों एवं जीवन को नई उमंग प्रदान करते हैं।
खास बात यह है कि कलरमेट का यह पावडर कलर रेंज आठ जरूरी हिमालयी जड़ी बूटियों, मसलन अर्निका, भृंगराज, आंवला, शिकाकायी, हिबिस्कस, प्राकृतिक हिना, जटामानसी और ब्राह्मी के अनूठे मिश्रण से समृद्ध हैं, जो बिल्कुल प्राकृतिक हैं। साथ ही इनमें हिना की मौजूदगी उपभोक्ताओं के लिए रंग विकल्पों में से एक अनूठा विकल्प भी प्रदान करता है।
उन्होंने बताया, "हालांकि, कुछ लोगों की त्वचा काफी सेंसिटिव भी होती है। ऐसी श्रेणी वाले लोगों के लिए बालों का रंग अतिरिक्त नुकसान से जुड़ा होता है। ऐसे में उन्हें केवल नेचुरल हेयर कलर का इस्तेमाल ही करना चाहिए। ऐसे में बाजार में उपलब्ध कलरमेट की नई पावडर कलर रेंज ऐसे लोगों के लिए एक नेचुरल हेयर कलर सॉल्यूशन भी लाता है।"
आशीष ने कहा, "इसकी वजह यह है कि इन हेयर कलर्स की कार्य प्रणाली अद्भुत है, क्योंकि यह बालों के आस-पास न केवल शील्ड बनाता है, बल्कि एक सुरक्षात्मक कोटिंग भी देता है, जिससे बालों को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। जबकि, केमिकल तत्वों वाली क्रीम से खुजली, सूजन आदि जैसी समस्याएं होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।"