सनस्क्रीन स्किन कैंसर का खतरा 40 फीसदी कर सकती है कम
सूरज की हानिकारक किरणों से त्वचा को बचाने या फिर अपनी रंगत बरकरार रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला सनस्क्रीन त्वचा कैंसर के खतरे को 40 फीसदी तक घटा सकता है।
नई दिल्ली: सूरज की हानिकारक किरणों से त्वचा को बचाने या फिर अपनी रंगत बरकरार रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला सनस्क्रीन त्वचा कैंसर के खतरे को 40 फीसदी तक घटा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, वैश्विक स्तर पर प्रत्येक वर्ष में नॉन-मेलेनोमा त्वचा कैंसर के 20 से 30 मामले और मेलेनोमा त्वचा कैंसर के 1,32,000 मामले सामने आते हैं।
मेलेनोमा के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि मेलानोमा का विकास का मुख्य कारण सूर्य से सीधा संपर्क यानी खुली जगह पर धूप सेंकना और सनबर्न माना जाता है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में सहायक प्राध्यापक और शोधार्थी, एनी कस्ट ने कहा, "विशेष रूप से बचपन में मेलानोमा के जोखिम का मुख्य कारण सूर्य की किरणों से सीधा संपर्क और सनबर्न को माना जाता रहा है, लेकिन इस अध्ययन से पता चला है कि नियमित रूप से सनस्क्रीन का उपयोग सूर्य के संपर्क के हानिकारक प्रभावों से रक्षा करता है।"(मॉडल ने 5 माह की बेटी को ब्रेस्ट फीडिंग कराते हुए रैंप वॉक किया, अब सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस)
कस्ट ने कहा कि लोगों द्वारा नियमित रूप से सनस्क्रीन लगाना अभी भी मुश्किल है और ऐसा करने की संभावना कई कारकों पर निर्भर करती है।(Toothpaste का करें यूं इस्तेमाल और सिर्फ 2 मिनट में पाएं बेदाग शाइनिंग नाखून)
उन्होंने कहा, "संभावित रूप से सनस्क्रीन के नियमित उपयोगकर्ता ब्रिटिश या उत्तरी यूरोपीय महिलाएं और युवा होते हैं या फिर उच्च शिक्षा स्तर वाले लोग, हल्की त्वचा वाले और सनबर्न के सबसे ज्यादा शिकार होने वाले लोग शामिल हैं।" इस शोध के लिए 18 से 40 साल के बीच के 1,700 लोगों पर सर्वेक्षण किया गया था।(Monsoon Footwear: मानसून में स्टाइलिश दिखने के लिए ट्राई करें ये फुटवियर)