ऐसें करें पूजा
शनि अमावस्या के दिन शाम के समय सात दीपक, कालें तिल, सरसों का तेल, लोहें की कील रखकर पीपल के पेड़ के नीचें जलाएं। इसके बाद ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का उच्चारण करे।
अगर आपकी कुंडली में शनि का दोष, साढ़े साती, या शनि ढैय्या है, तो शनिवार के दिन एक स्टील या लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भर अस पीपल के हेड़ के नीचें रखकर अपनी चेहरा उसमें देखें और उसे पेड़ की जड़ के नीचे दबा दे। इससे आपका शनि ठीक हो जाएगा और आपको विशेष लाभ भी मिलेगा।
पितृ दोष वालें व्यक्ति ये करें उपाय
जिस व्यक्ति के पितृ दोष लगे है वो आज पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाए और एक कास्य के पात्र में दूध, गंगा जल. कालें तिल लें कर पीपल की सात परिक्रमा करतें हुए ऊं ब्रह्म देवाय नम: का जाप करते रहें। परिक्रमा पूरी होनें के बाद पीपड़ में एस जनेऊ चढ़ाए। इस दिन प्रसाद में काली या सफेद चीज चढ़ाएं और प्रार्थना करें कि हे ब्रह्म देव, हे शनिदेव, हे पितृ देव हमसें कोई भूल हो गई हो तो माफ करिएगा। हम पर प्रसन्न हो जाइए और हमें आर्शीवाद दीजिए। इसके बाद इस श्लोक का ध्यान करें।
शनि ग्रह की शांति के लिए करें इन नामों का स्मरण
कोणस्य: पिंगलों व्रभ्रु: कृष्णों रौद्रान्तकरे यम:।
सौरि: श्नेश्चरों मन्द पिप्पलादेल संस्तुत:।।
एताति दशं नाभानि प्रातरूक्थाय य पठोत्।
शनैश्चरे कृता पीडा न मदाचिद् भविष्यति।।
यानि कि इन दस नामों का सुबह के समय स्मरण करनें से कभी आपको शनि ग्रह का कष्ट नही सताएगा।
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