नई दिल्ली: नवरात्र यानि की दुर्गा पूजा के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। वैसे तो साल में दो बार नवरात्र आते है। एक तो चैत्र मास में और दूसरा आश्विन मास में होता है। इस बार 13 अक्टूबर से नवरात्र शुरु हो रहे है। जो कि 21 अक्टूबर तक चलेगें। 22 अक्टूबर को दशमी है। नवरात्र पूजन के प्रथम दिन मां शैलपुत्री जी का पूजन होता है।
मां शैलपुत्री दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल लिए अपने वाहन वृषभ पर विराजमान होतीं हैं। इनका नाम शैलपुत्री हिमालय की पुत्री होने के कारण पड़ा। दुर्गा पूजा में सबसे पहले कलश स्थापना किया जाता है। जिसके बिना आप की पूजा पूर्ण नही होती है। हिंदू धर्म के अनुसार कलश को मंगलमूर्ति गणेश का स्वरूप माना जाता है। इसलिए इसका पूजा सबसे पहले की जाती है।जानिए पहले दिन पूजी जाने वाली शैलपुत्री की पूजन विधि और कलश स्थापित करने के समय के बारें में।
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कलश स्थापना करने का मुहूर्त
धर्मग्रंथों के अनुसार नवरात्र के दिन सूर्योदय से चार घंटे के बीच में कलश की स्थापनी की जाती है, लेकिन इस बार चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग होने के कारण इस समय स्थापित वही कर सकते है, क्योंकि यह समय काल दूषित है। इसलिए इस बार दिन सूर्योदय से चार घंटे के बाद अभिजीत मुहूर्त के दिन 11 बजकर 49 मिनट से लेकर 12 बजकर 37 मिनट के बाच में कलश स्थापित करें।
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