नई दिल्ली: आपने किसी ऐसे मंदिर के बारें में सुना है जिसके दर्शन सिर्फ आप किसी विशेष अवसर में की कर पाए और जिनके दर्शन मात्र से आपकी सभी मनोकामनाए पूर्ण हो जाती है। इस दिन इस मंदिर में भारी भाड़ होती है। यह मंदिर है बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर के ऊपरी तल में स्थापित नाग चन्द्रदेव का मंदिर। यद मंदिर उज्जैन में स्थित है। इस दुर्लभ मंदिर के पट सिर्फ श्रावण शुक्ल पंचमी के ही दिन खुलते है। इस मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती एवं उनके पुत्र गणेशजी और नाग इस सिंहासन पर आसीन है। माना जाता है कि विश्व में ऐसा मंदिर और कही नही है। इस मंदिर की अपनी ही एक पौराणिक कथा है। जानिए इस मंदिर की पौराणिक कथा और इसकी प्रसिद्धि के बारें में।
इस मंदिर के बारें में मान्यता है कि सर्पो के राजा तक्षक ने भगवान भोलेनाथ की यहां पर घनघोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से भगवान शिव नें प्रसन्न होकर तक्षक को अमरत्व का वरदान दिया। इसके बाद से माना जाता है कि तक्षक नाग इसी मंदिर में विराजित है। वह भगवान शिव के गलें हाथ-पैर में एक नाग के रुप में लिपटे हुए है। जिस पर शिव और उनका परिवार आसीन है। एकादशमुखी नाग सिंहासन पर बैठे भगवान शिव के हाथ-पांव और गले में सर्प लिपटे हुए है।
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