ये है राजा बलि से जुड़ी एक मान्यता
पुराणों में ऐसा भी वर्णन है कि राजा बलि के 99 यज्ञ पूरे होते ही भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर वर मांगने को कहा तब बलि ने कहा यदि आप मुझसे प्रसन्न है तो मरे पहरेदार बनकर मेरे यज्ञ की रक्षा करें। उस समय विष्णु बाह्मण के रूप में थे। तथास्तु कह भगवान पहरेदार बन गए। तब लक्ष्मी जी भेष बदलकर दासी के रूप में वहां पहुंची और सेवा में लग गयीं। यज्ञ में सेवा से प्रसन्न होकर बलि ने कहा आपने यज्ञ में मेरी बहुत मदद की मै तुमको अपनी बहन के रूप में देखता हूं। ऐसा कहकर रक्षा सूत्र बंधवाया। जब बलि ने कुछ उपहार देने की बात कही। तब दासी ने कहा अगर आप मुझे कुछ देना चाहते हैं तो अपना पहरेदार दे दीजिए। तब बलि सब कुछ समझ गया इस तरह लक्ष्मी ने रक्षासूत्र बांधकर अपने स्वामी विण्षु भगवान को बलि से छुड़ाया।
चित्रों का प्रयोग महज प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।
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