नई दिल्ली: सावन के महीने में मां गंगा का महत्व भी काफी बढ़ जाता है। सावन के पावन माह में भोलेनाथ यानी भगवान शिव की पूजा की जाती है और गंगा शिव की जटाओं से निकलती हैं। वो शिव की भी प्रिये हैं इसलिए इस दिन गंगा स्नान का भी एक विशेष धार्मिक महत्व है। कहा जाता है कि सावन के महीने में पशु-पक्षी, किसान और उनके खेतों के साथ साथ हर कोई प्रफुल्लित नजर आता है। इतना ही नहीं मां गंगा भी सावन के महीने का बेसब्री से इंतजार करती हैं। ऐसा इसलिए की आम भक्तों की तरह मां गंगा को भी भोलेबाबा के दर्शन की तमन्ना तेज हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में शिव भगवान का जलाभिषेक गंगाजल से किया जाता है। गंगा जल से अभिषेक करने से शिव जल्द प्रसन्न होती है ऐसी पौराणिक मान्यता है।
गंगा के धरती पर अवतरण को लेकर तमाम तरह की कथाएं प्रचलित हैं। कोई मानता है कि गंगा विष्णु भगवान के चरणों से निकलकर भगवान शिव की जटाओं में समा गई थीं, लेकिन गंगा के धरती पर आने की पूरी कहानी श्री मद्भागवत-महापुराण के द्वितीय-खण्ड में दिया गया है। इस महापुराण के नवम स्कंध भगीरथ चरित्र और गंगावतरण में श्लोक-1 से 15 तक पूरी बात विस्तार में दी गई है।
इस श्लोक द्वारा बताया गया है कि गंगा में धरती में किस तरह आई-
विष्णु चरण से निकल कर गंगा,
ब्रह्म कमंडल आयीं।
शिव शंकर की जटा लटा में,
लहर लहर लहरायीं।।
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