नई दिल्ली: सावन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी पर महिलाएं विशेष तौर पर संतान के लिए वृत रखती हैं। इस बार यह तिथि 26 अगस्त को पड़ रही है।
पुत्रदा एकादशी का संक्षिप्त वर्णन
महाराज युधिष्ठर के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि इस व्रत को द्वापर युग में महीजित नाम के राजा ने संतान की इच्छा से किया महीजित बड़ा प्रतापी राजा था। अपनी प्रजा को पुत्र के समान पालता था और दुष्टों को कठिन दंड से दण्डित करता था। प्रजा
दशमी से युक्त एकादशी का न रखें व्रत
गरूण पुराण के अध्याय 125 में कहा गया है कि गांधारी ने दशमी से युक्त एकादशी का व्रत रखा था ऐसा करने पर उसने अपने सभी पुत्रों का वध अपने जीवनकाल में ही देख लिया। इसलिए दशमी से युक्त एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए। अगर कभी ऐसा होता है कि किसी महीने में दशमी से युक्त एकादशी पड़ती है तो मन में संदेह न रखें बल्कि द्वादशी का व्रत रखकर त्रयोदशी में पारण कर दें।
ऐसे करें व्रत
एकादशी को जब आप व्रत रखें अस दिन रात को सोना नही चाहिए रात को जागरण करना चाहिए और पुराणों के अनुसार इस दिन विष्णुभगवान का पूजन करना चाहिए। इस दिन आपको भोजन भी नही करना चाहिए। ऐसा करनें से सफलता और आपको पुत्र की प्राप्ति होती है। ऐसा गरुण पुराण में लिखा गया है।
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