suket dhir
जानें अपने बारें में क्या कहते है धीर
धीर ने बताया कि निक्ट दिल्ली में पहुंचने से पहले उन्होंने बीकॉम किया और कॉल सेंटर में नौकरी भी की। धीर ने बताया कि संघ को दो विकल्प दिए गए थे-खाकी और भूरा। इनके अनुसार भूरा रंग और गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसमों के लिए ठीक था। ये कपड़े किसी भी दुकान पर आसानी से मिल भी सकते थे। पुराना होने के बाद भूरा रंग धूसर नहीं पड़ता।
धीर ने बताया कि ठंड के दिनों में खाकी निक्कर पहनकर बाहर जाना बहुत कठिन था। नए परिधान में मुख्य धारा से जुड़ना अधिक सहज है। इससे युवा आकर्षित होंगे साथ ही संगठन की विचारधारा भी प्रभावित नहीं होगी।
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