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जानिए, वामन द्वादशी का महत्व और पूजा विधि

नई दिल्ली: हिन्दू मान्यताओं में एकादशी का बेहद महत्व है, क्योंकि हर एक एकादशी एक खास व्रत से जुड़ी है। इस दिन लोग पूर्ण विधि के अनुसार व्रत रखते हैं और व्रत से जुड़े देवी-देवता

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नई दिल्ली: हिन्दू मान्यताओं में एकादशी का बेहद महत्व है, क्योंकि हर एक एकादशी एक खास व्रत से जुड़ी है। इस दिन लोग पूर्ण विधि के अनुसार व्रत रखते हैं और व्रत से जुड़े देवी-देवता की पूजा करते हैं। हर एक एकादशी में विशेष देव की पूजा करने का एक खास फल भी प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि यदि जिस रूप में व्रत रखने एवं पूजा की विधि बताई गई है, ठीक उसी प्रकार से करो तो भगवान जरूर प्रसन्न होते हैं। इसलिए लोग एकादशी का व्रत जरूर रखते हैं, कुछ लोग तो सभी 24 एकादशियों का व्रत रखते हैं। लेकिन कुछ लोग अपनी मनोकामना के अनुसार ही किसी विशेष एकादशी का व्रत रखते हैं। यें भी पढें:(जानिए, शिवलिंग पर शंख से जल क्यों नहीं चढ़ाया जाता )

धार्मिक उल्लेख के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को सभी एकादशियों का व्रत जरूर रखना चाहिए। परन्तु यह तो आस्था पर निर्भर करता है कि कौन अपने धर्म के प्रति कितनी भावना रखता है। इस बार 25 सितंबर को वामन द्वादशी पड़ रही है। इस बार वामन द्वादशी के साथ प्रदोष व्रत भी है। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा का विधान तो जानते ही है। हर माह का प्रदोष व्रत त्रयोदशी विधि में होता है किन्तु त्रयोदशी की हानि होने के कारण यह प्रदोष व्रत द्वादशी में है। त्रयोदशी तिथि शनिवार 26 सितंबर को अंश मात्र है और इसी दिन वामन द्वादशी में भगवान विष्णु का वामन अवतार कहा गया है। इस दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु से जुड़ी है। इसे ‘पार्श्व एकादशी’ या फिर ‘वामन एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन विशेष रूप से श्रीहरि के अवतार ‘वामन’ की पूजा की जाती है। वामन देव भगवान विष्णु के दस अवतारों में से एक अवतार हैं, जिनकी पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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