श्रीयंत्र के प्रभाव के बारे मे एक और पौराणिक कथा है। माना जाता है कि एक बार लक्ष्मीजी पृथ्वी से दुखी होकर बैंकुठ चली गई। फलस्वरूप पृथ्वी पर अनेक समस्याएं पैदा हो गईं। तब महर्षि वशिष्ठ ने विष्णु की सहायता से लक्ष्मी को मानने के प्रयास किए, लेकिन विफल रहे। फिर वे देवगुरु बृहस्पति के मनाने पर तुरंत पृथ्वी पर लौट आईं और कहा श्रीयंत्र ही मेरा आधार है और इसमें मेरी आत्मा निवास करती है। इसलिए मुझे आना ही पड़ा। माना जाता है कि श्रीयंत्र की विधिवत पूजा करने से सुख और मोक्ष प्राप्त होता है। इसकी आराधना पूर्व दिशा की ओर मुंह रखकर करना चाहिए। तब आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
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