बेल्लारी के हंपी नगर में हुआ था हनुमान और श्री राम का मिलन
नई दिल्ली: सीता और राम को अपनी रग-रग में बसा लेने वाले सच्चे भक्त हनुमान का जन्म ही प्रभु राम की सेवा और मदद के लिए हुआ था। यूं तो हनुमान और प्रभु श्री राम
नई दिल्ली: सीता और राम को अपनी रग-रग में बसा लेने वाले सच्चे भक्त हनुमान का जन्म ही प्रभु राम की सेवा और मदद के लिए हुआ था। यूं तो हनुमान और प्रभु श्री राम की पहली मुलाकात को लेकर कई तरह की दंत कथाएं प्रचलित हैं, लेकिन हम आपको अपनी खबर में एक ऐसी जगह के बारे में बताएंगे जहां भक्त हनुमान ने प्रभु राम को पहली बार देखा था। जानकारी के मुताबिक कर्नाटक के बेल्लारी जिले के हंपी नगर में हनुमान ने श्री राम को पहली बार देखा था। इस जगह पर एक प्रतिष्ठित हनुमान मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर में बैठे हनुमान जी को यंत्रोद्धारक हनुमान भी कहा जाता है। आपको बता दें कि प्राचीनकाल से ही इस नगरी को पंपा नाम से जाना जाता है।
वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में इस जगह का वर्णन मिलता है जिसमें बताया गया है कि इसी स्थान पर किसी समय वानरों का विशाल साम्राज्य स्थापित था। आज भी यहां अनेक गुफाएं मौजूद हैं। इस मंदिर में श्रीराम नवमी के दिन से लेकर तीन दिन तक विशाल उत्सव मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रावण पंचवटी से माता सीता का अपहरण करके लंका ले गया था। इस बात का पता श्री राम और लक्ष्मण नही था कि माता सीता कहां गईं। इसलिए दोनों लोग जंगल-जंगल भटकते रहे कि सीता का पता चल जाए। फिर दोनों भाई किष्किंधा पहुंचे। यहा पर बजरंगबली के पिता महाराज केसरी का राज था और बजरंगबली भी यही रहते थे। तब उनकी मुलाकात सुग्रीव से हुई। जब सुग्रीव के द्वारा पता चला कि उनके क्षेत्र में दो राजकुमार आए हैं। तो हनुमान ब्राह्मण का रूप रख कर उनसे मिलनें पहुचें और बडें आदर से पूछा कि सांवले शरीर वाले आप कौन हैं, क्या आप ब्रह्मा, विष्णु, महेश इन तीन देवताओं में से कोई हैं या आप दोनों नर और नारायण हैं?
इस बात में श्री राम ने कहा कि हम दोनों भाई है और अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र है ऐर हम लोग अपने पिता का वचन पूरा करने के लिए 14 वर्ष के वनवास में है, लेकिन किसी राक्षस ने मेरी पत्नी जानकी का अपहरण कर लिया है। हम उसें को खोजते हुए यहां पर आए है। ब्राह्मण बताएं कि आप कौन है? हनुमान श्री राम को पहचान कर उनके चरणों में गिर गए।
रावण का वध करने के बाद जब श्री राम अयोध्या के लिए निकले तो वहां पहुंचने से दो दिन पहले जब वह अपनी पत्नी सीता और लक्ष्मण के साथ पुष्पक विमान पर विराजित होकर अयोध्या के लिए प्रस्थान कर रहे थे। तब उनके साथ विभीषण, हनुमान, सुग्रीव, जांबवान आदि थे। पुष्पक विमान से अयोध्या आते समय श्रीराम ने सीता को उन स्थानों के बारे में बताया जहां वे रुके थे या कोई विशेष कार्य किया था। जब भगवान श्रीराम ने पुष्पक विमान से सीता को किष्किंधापुरी के दर्शन करवाए तथा बाली वध के बारे में बताया को सीता ने सुग्रीव आदि वीर वानरों की पत्नियों को अयोध्या लेकर चलने की प्रार्थना की। सीता की बात मानकर श्रीराम ने अपना विमान किष्किंधा में रुकवाया तथा सुग्रीव आदि से कहा कि वे अपनी पत्नियों को साथ चलने के लिए कहे। इस प्रकार श्रीराम ने एक रात्रि यही पर विश्राम भी किया था।