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Hindi News लाइफस्टाइल डेटिंग OMG लाइक, कमेंट और शेयर से आगे आहा! इश्क की अजब दास्तां

OMG लाइक, कमेंट और शेयर से आगे आहा! इश्क की अजब दास्तां

Valentine Day 2018: हर किसी को फेसबुक में प्यार कभी न कभी हो ही जाता है, लेकिन सबसे बड़ी बात होती है कि वह एकतरफा है या फिर दोनों तरह से बराबर प्यार की आग लगी हुई है। इसीलिए हम आपके लिए लेकर आएं है एक अजब कहानी....

Valentine day- India TV Hindi Image Source : PTI Valentine day

ये वक़्त भी क्या हसीन सितम करता है
हिज़्र को सदियाँ वस्ल को लम्हा मुक़र्रर करता है ।

हम कहां गये थे आक्यूपाई यूजीसी मे सरकार से लड़ने, पुलिस की लठियां, आंसू गैस और वाटर कैनन खाने और कहां दिनदहाड़े बीच सड़क पर दिल लुटा आए। वो मेरी फेसबुक फ्रेंड थी। कभी बात तो नही हुई बस स्टेट्स लाइक का रिश्ता था। मतलब ये कि नाम और शक्ल पहचानने भर की दोस्ती थी। उस दिन वो भी रैली मे थी, देखते ही पहचाना और हाथ बढ़ाकर पूछा 'कैसे हो साथी'?

'जी बढ़िया। आप'?

'हम भी अच्छे'
बस! बस इतनी सी बात हुई थी उस दिन। लम्हे भर की मुलाकत थी। वो क्या कहते हैं अंग्रेजी मे 'फर्स्ट-साइट' एक नज़र मे प्यार हो गया था। ऐसा पहले कभी नही महसूस हुआ था। वहां से लौटते को बार-बार एक ही नज़ारा आंखो के सामने था ।

'कैसे हो साथी' आ हहा। क्या आवाज थी, क्या मुस्कुराहट थी। आंखो ने उसकी जो तस्वीर खींची दिल धड़ाधड़ उसका प्रिंट किए जा रहा था। वो बेकरारी कहना मुश्किल है उसे तो बस महसूस किया जा सकता है ।

दिल्ली से वापस आकर फेसबुक पे बातचीत शुरू हुई। फेसबुक से व्हाट्स एप होते हुए फोन पर बातें होने लगी। दोस्ती अच्छी गढ़ने लगी थी। कभी-कभी देर रात बातें भी होती रहती थी। क्या बातें होती थी याद नही बस उसकी मख़मली आवाज याद है।

दिसंबर-जनवरी ऐसे ही गुजर गयी, फिर आया फरवरी, मुहब्बतों का महीना। वेलेंटाइन वीक शुरू हो चुका था। सोचा दस्तूर भी है, मौका भी, चौका मार लिया जाए। इधर दोस्तो ने भी चने के झाड़ पर चढ़ा रखा था और फिर जैसे-तैसे हिम्मत करके उससे कहा कि 'प्यार है तुमसे'। उसने कोई जवाब नही दिया न हाँ कहा न ही ना कहा।

हाँ! उसके बाद वो बिजी थोड़ी ज्यादा रहने लग गयी। न फोन, न मैसेज, न हाल-चाल। काफी वक्त बाद जब बातचीत दुबारा शुरू हुई तो मालूम हुआ उसे किसी और से प्यार है और जिस लड़के से उसे प्यार है उसे किसी और लड़की से प्यार है मजे की बात देखो उस लड़की को भी किसी और से प्यार था।

अब सिचुएशन ये थी कि यहां एक कड़ी बन गयी थी जिसमे सब अपने चाहने वाले के बजाय किसी और की तरफ मुंह ताक रहे थे। मुझे चाहने वाला कोई नही था इसलिए मैं इस कड़ी का चाहे-अनचाहे रूप से आखिरी हिस्सा बना हुआ था। मेरे पास कोई च्वाइस नही थी सिवाए उम्मीद रखने के। उसकी याद मे तड़पना और शायरी करना ही बचा था आशिकी के नाम पर।

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