Valentine Love Story: ज़िंदगी को मुकम्मल बनाता है इऱफान और निदा का ‘इश्क एक रिश्त़ा’
Valentine Day 2018: प्यार कब किससे कै,से हो जाएं कभी किसी को पता नहीं होता है, लेकिन काफी कम लोग होते हैं जो इस प्यार को एक नाम देते है और जिंदगीभर इसे यूं ही निबाते है। कुछ ऐसी ही कहानी है निदा और इरफान की। जिसका लवस्टोरी कर देगी इनका कायल...
दोनों तकरीबन 10 साल से दिल्ली मे नौकरी कर रहे थे लेकिन हम कभी टकराए नहीं। हमारी कभी बातचीत भी नहीं हुई। ईद के बाद हमारी बातचीत हुई। हमेशा से खामोश से रहने वाले इरफान ने अपनी ज़िंदगी की तमाम बाते शेयर कीं। मां-पापा के बिना ज़िंदगी कैसी होती है इरफान से बेहतर कोई नहीं जानता है। वो अपने भाई-भाभी और बहन के साथ बड़ा हुआ। उसे लगता था कि उसकी ज़िंदगी उधार की है जिसका कर्ज़ चुकाना है। बहुत सी बातों ने मुझे बैचेन किया था।
ख़ैर मैं दिल्ली लौट आई लेकिन इरफ़ान 21 अगस्त को लौटा। उसने मुझसे मिलने के लिए कहा तो मैं ऑफिस के बाद मिली। तब हमारी अच्छी बात हुई हम अच्छे दोस्त बन गए थे। लेकिन कहते हैं ना कि ख़ुदा घंट्टियां बजाता है। हमारा मिलना भी ख़ुदा का इशारा ही था। वरना इतने करीब रहते हुए भी हम कभी एक दूसरे की नज़र में नहीं आए। वहां से लौटने के बाद मुझे इरफ़ान ने कुछ दिन बाद बताया कि उसकी मंगनी हो गई है। लेकिन वो कुछ अनमना सा था। शायद शादी को लेकर तैयार नहीं था या फिर जो रिश्ता वो तय करके आया था उसमें वो खुश नहीं था। आखिरकार कुछ दिन बाद इरफ़ान ने घर में शादी करने को मना कर दिया।
इरफ़ान के शादी से इंकार के बाद उसके घर से बहुत प्रेशर था लेकिन वो मन बना चुका था। हम अच्छे दोस्त तो बन ही गए थे अब धीरे-धीरे मुलाकातों में लगने लगा था कि हम एक दूसरे की डेस्टिनी हैं। अल्लाह ने शायद हमें इसीलिए मिलाया था। मुझे नहीं पता कि हमें प्यार हुआ कि नहीं लेकिन ये यक़ीन ज़रूर आया कि हम एक दूसरे के साथ खुश रहेंगे। इरफान को लगा कि वो अपने घरवालों को मना लेगा लेकिन हुआ उसके उलट। सब बहुत खराब हो गया। घरवालों रवायती तरीके से रिएक्ट किया। हमारे रिश्ते के सख़्त खिलाफ़ थे। आखिरकार हमने साल 2014 में शादी का फ़ैसला किया। मैंने अपने घरवालों को बताया और उसने अपने घरवालों को।
हमारी शादी 12 मई 2014 को दोस्तों के बीच कोर्ट में हुई। ज़िंदगी बहुत कुछ दिखाती भी है और सबक भी देती है। हमने अपनी ज़िंदगी का फ़ैसला खुद किया। क्योंकि हमें लगता था कि हम एक दूसरे के साथ खुश रहेंगे।
इरफान ना तो रवायती मर्द है ना ही पति। वो दोस्त की तरह है। हमारे बीच प्यार से ज्यादा अंडरस्टैंडिंग और यकीन है। हमारी शादी का नतीजा ये हुआ कि इरफान के घरवालों ने उससे रिश्ता ख़त्म कर लिया। तमाम मुश्किलों से भरे दौर के बाद दो साल बाद हमारी ज़िंदगी में एक नन्हा फरिश्ता आया। हमारा बेटा यज़ान। ज़िंदगी इससे मुकम्मल हो गई थी।
यज़ान हमारी ज़िंदगी का सबसे प्यारा तोहफ़ा है जो खुदा ने भेजा है। इरफान ने मेरा साथ देने के एवज में अपना घर खोया है। वो आज भी अपनों से मेहरूम है। मुझे खुशी होती है कि मुझे एक ऐसा साथी मिला जिसने मोहब्बत निभाई। उसने लाखों रुपए के दहेज को ठुकराकर, कोर्ट मैरिज करना कबूल किया। इत्ती हिम्मत हर किसी में कहां होती है।
इरफ़ान के बारे में बहुत कुछ है लिखने को लेकिन सिर्फ़ इतना कहूंगी कि तुमने मेरे लिए वो किया है जो किसी ने नहीं किया। तुमने मुझे वो दिया है जो मेरी ज़िंदगी को मुकम्मल बनाता है। अल्लाह हमारे प्यार को यूं ही बरकरार रखे। इसी दुआ के साथ बहुत सारा प्यार मेरे प्यारे से खामोश मिजाज़ पति को।