Video: पैलेट गन की जगह लेगा पावा शेल, जानिए खास बातें
जम्मू-कश्मीर में उपद्रवियों से निपटने के लिए सुरक्षा बल अब पैलेट गन की जगह पावा सेल का इ्स्तेमाल करेंगे। गृह मंत्रालय की ओर से इस संबंध में मंजूरी मिल गई है।
नई दिल्ली।जम्मू-कश्मीर में उपद्रवियों से निपटने के लिए सुरक्षा बल अब पैलेट गन की जगह पावा सेल का इ्स्तेमाल करेंगे। गृह मंत्रालय की ओर से इस संबंध में मंजूरी मिल गई है। कश्मीर घाटी में उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए अब तक पैलेट गन का इस्तेमाल होता रहा है। इस पर पाबंदी लगाने की मांग की जा रही थी जिसे केंद्र सरकार ने मंजूर कर लिया।
क्या है पैलेट गन?
पैलेट गन में रबड़ या प्लास्टिक की गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है। भीड़ एक साथ छर्रे के तौर पर विशेष बंदूकों के जरिए इन गोलियों को फायर किया जाता है। रबड़ और प्लास्टिक की गोलियों से लोगों को तेज चोट तो लगती है लेकिन यो गोलियां जानलेवा नहीं होती। सुरक्षा बलों के मुताबिक भीड़ पर काबू पाने के लिए यह गैर जानलेवा विकल्प है। अगर पैलेट गन की गोलियां आंख में लगती हैं तो इससे आंखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है। घाटी में कई युवा पैलेट गन की गोलियों का शिकार होकर अस्पतालों में भर्ती हैं।
पावा शेल की खासियत
पावा शेल को मिर्ची बम भी कहते हैं। इसमें उसी मिर्ची का इस्तेमाल किया जाता है जिसे हम घर में खाने में यूज करते हैं। पावा शेल में मिर्ची के अलावा कुछ केमिकल का भी इस्तेमाल होता है। कुछ पावा शेल को धमाके के साथ छोड़ा जाता है जबकि कुछ का इस्तेमाल धुएं के साथ किया जाता है। धमाके के चलते भीड़ तितर-बितर होती है वहीं स्मोक के जरिए मिर्ची जब आंखों तक पहुंचती है तो बेहद तेज जलन होने लगती है। और आंखों में पानी आने लगता है। वहीं इस शेल से शरीर में तेज खुजली भी होने लगती है। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पावा शेल पैलेट गन की अपेक्षा कम हानिकारक है।
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