प्लेसमेंट पा चुके छात्रों को प्रोविजनल डिग्री दे सकते हैं विश्वविद्यालय
दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले कई विश्वविद्यालय प्लेसमेंट के मद्देनजर अंतिम वर्ष के छात्रों को प्रोविजनल डिग्री दे सकते हैं।
नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले कई विश्वविद्यालय प्लेसमेंट के मद्देनजर अंतिम वर्ष के छात्रों को प्रोविजनल डिग्री दे सकते हैं। यह निर्णय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के दौरान लिया गया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शैक्षिक कार्य की समीक्षा की।
मुख्यमंत्री ने शिक्षा सत्र 2020-21 में एडमिशन की स्थिति, उत्तीर्ण हुए विद्यार्थियों में से कितने को प्लेसमेंट मिला व कोविड-19 की वजह से प्लेसमेंट प्रक्रिया पर कितना असर पड़ा है, इसकी जानकारी ली।समीक्षा बैठक में मुख्य रूप से जिन बिंदुओं पर चर्चा हुई, उनमें अगले शिक्षा सत्र में एडमिशन की तैयारियां, कोविड-19 के कारण पिछले वर्ष की जो परीक्षाएं नहीं हो सकीं और अगले साल की पढ़ाई को लेकर विश्वविद्यालयों में चल रहीं तैयारियां शामिल रहे।
इसके अलावा, जो छात्र पिछले साल अंतिम वर्ष में थे और उनका किसी कंपनी में प्लेसमेंट हो चुका है, लेकिन कोविड-19 की वजह से अभी तक उनकी परीक्षाएं संपन्न नहीं हुई हैं, और डिग्री या सर्टिफिकेट नहीं मिलने पर इन छात्रों को जॉब लेने में दिक्कत आ सकती है, इस मुद्दे पर भी चर्चा हुई, और निर्णय लिया गया कि ऐसे छात्रों को जॉब के लिए प्रोविजनल डिग्री देने की जरूरत पड़ती है, तो विश्वविद्यालय उन छात्रों को प्रोविजनल डिग्री देने का प्रबंध करें।
मुख्यमंत्री ने सभी कुलपतियों से कहा कि वे पूरा प्लान बनाकर रखें कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद जब शैक्षिक कार्य शुरू होंगे, तब सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए ही शैक्षिक कार्य संपन्न कराए जाएंगे।मुख्यमंत्री ने कहा, कोरोना की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अभी लंबे समय तक किया जाएगा। इसलिए जो भी योजना बनाई जाए, उसमें सोशल डिस्टेंसिंग को शामिल किया जाए और इसका पालन काफी समय तक करना पड़ेगा।
समीक्षा बैठक में जीजीएसआईपीयू, डीटीयू, एनएसयूटी, अंबेडकर यूनिवर्सिटी, आईजीडीटीयूडब्ल्यू, एनएलयू, डीआईपीएसआरयू के कुलपति और आईआईआईटी दिल्ली के निदेशक शामिल हुए।