नई दिल्ली। सरकार द्वारा जेएनयू प्रशासन एवं छात्रों के बीच मुद्दे के हल के लिए सीधा हस्तक्षेप किये जाने की संभावना नहीं है। जेएनयू के छात्र छात्रावास फीस वृद्धि का विरोध कर रहे हैं। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को दी। सूत्रों ने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय समाधान में "सुविधा प्रदान" कर सकता है लेकिन कोई ‘‘निर्देश’’ जारी नहीं करेगा। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘‘कोई निर्देश जारी करने से उनकी स्वायत्तता कम हो सकती है। हम इसमें कोई सीधा हस्तक्षेप करने के बजाय समाधान को सुविधाजनक बनाएंगे।’’ मंत्रालय ने पिछले महीने जेएनयू में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए तरीके सुझाने और छात्रों एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच मध्यस्थता के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था।
समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है लेकिन मंत्रालय ने अभी इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। मंत्रालय ने पिछले हफ्ते फीस वृद्धि में दूसरी बार बदलाव के बाद उच्चस्तरीय समिति से जेएनयू के छात्रावास शुल्क संरचना की दूसरे केंद्रीय विश्वविद्यालयों से तुलना करने के लिए कहा था। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि सरकार ने किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय को फीस बढ़ाने का निर्देश नहीं दिया है। पोखरियाल की यह टिप्पणी ऐसे दिन आयी जब पुलिस ने जेएनयू के छात्रों पर लाठीचार्ज किया ।
उस समय वे राष्ट्रपति से मिलने और उनसे यह आग्रह करने के लिए राष्ट्रपति भवन की ओर मार्च का प्रयास कर रहे थे कि छात्रावास शुल्क में बढ़ोतरी पूरी तरह से वापस ले ली जाए। वहीं दूसरी ओर जेएनयू प्रशासन ने एक बयान में कहा कि छात्रों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया है, लेकिन वे ‘‘झूठे बयान फैला रहे हैं और बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं।’’ छात्र छात्रावास फीस वृद्धि के खिलाफ परिसर में एक महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्होंने आगामी सेमेस्टर परीक्षाओं के बहिष्कार का भी आह्वान किया है। हालांकि प्रशासन की ओर से उनसे बार-बार कक्षाओं में वापस आने की अपील की गयी है।
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