नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने यूजीसी के उन दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाली एक याचिका बृहस्पतिवार को वापस लेने की अनुमति दे दी क्योंकि इसी तरह का मामला शीर्ष अदालत में भी लंबित है। इस याचिका में सितंबर के अंत तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित करना कॉलेजों के लिए अनिवार्य किया गया था। न्यायमूर्ति जयंत नाथ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई की और छात्र को याचिका उच्चतम न्यायालय में ले जाने की इजाजत दी।
अदालत ने कहा, ‘‘याचिका वापस लेने की इजाजत देते हैं, याचिका वापस ली गई अत: खारिज मानी जाएगी।’’ दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष के छात्र कबीर सचदेवा ने छह जुलाई के उन दिशा-निर्देशों को चुनौती दी थी जिनमें कॉलेजों के लिए सितंबर माह के अंत तक अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए कोविड-19 महामारी के मद्देनजर व्यक्तिगत उपस्थिति, ऑनलाइन या मिश्रित तरीके के साथ परीक्षा करवाना अनिवार्य किया गया था।
याचिकाकर्ता के वकील माणिक डोगरा ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि यूजीसी के दिशा-निर्देशों को चुनौती देने वाली इस तरह की कई याचिकाएं शीर्ष अदालत में लंबित हैं। अत: अब उच्चतम न्यायालय की शरण में जाना ही बेहतर होगा। यूजीसी के अधिवक्ता अपूर्व कुरुप ने कहा कि शीर्ष अदालत में शुक्रवार के लिए मामला सूचीबद्ध है और उन्हें याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश मिला है।
इससे पहले उच्च न्यायालय ने याचिका पर केंद्र, यूजीसी तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से जवाब मांगा था। याचिका में अंतिम वर्ष के छात्रों को बीते वर्षों के प्राप्तांकों के औसत तथा जारी वर्ष के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर प्रमोट करने का अधिकारियों को निर्देश देने की भी मांग की गई थी।
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