नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से दुनिया भर में संक्रमित लोगों और उनके इलाज में शामिल स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पूरी दुनिया के छात्र वैश्विक प्रार्थना कर रहे हैं और अमेरिका का प्रिंसटन विश्वविद्यालय इस अवधि में ऐसी प्रार्थनाओं से निकलने वाली तरंगों के प्रभाव का अध्ययन कर रहा है। भारतीय योग संगठन ने सोमवार को इन प्रार्थनाओं की शुरूआत की । ये प्रार्थनाएं भारतीय समयानुसार या तो सुबह आठ बजे या फिर शाम छह बजे की जा सकती हैं। पूरी दुनिया के विश्वविद्यालय के छात्र ‘‘टुगेदर वी कैन’’ तथा ‘‘सिंक्रोनाइज्डग्लोबलप्रेयर हैश टैग’ के साथ इसकी तस्वीरें, वीडियो आदि एक दूसरे से साझा कर रहे हैं । भारतीय योग संगठन आईवाईए के अनुसार वैश्विक चेतना अभियान में शामिल अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय का एक समूह इस अवधि के दौरान तरंगों के बदलाव का अध्ययन करेगा।
आस्ट्रेलिया में जब आग लगी थी और देश इस आग से प्रभावित हो रहा था, तब वहां के छात्र समूहों ने इसी प्रकार की प्रार्थना की थी । भारत के विभिन्न विश्वविद्यालय तथा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने छात्रों के इस पहल में शामिल होने के लिये कालेजों एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों को परामर्श भेजा है । भारतीय योग संगठन भारत में शीर्ष योग संस्थानों की स्वनियामक इकाई है । योग गुरू बाबा रामदेव इस संगठन के चेयरमैन हैं और पहले योग विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एच आर नागेंद्र इसके अध्यक्ष हैं ।
नागेंद्र ने बताया, यह पूरी तरह आईवाईए की पहल है,जिसमें हम विभिन्न धर्मों की सभी परंपराओं एवं समूहों को शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं । वैश्विक प्रार्थना का प्रोटोकाल बेहद सामान्य है और इसे कोई भी कर सकता है । नागेन्द्र ने परामर्श में बताया,‘‘इस प्रोटोकाल में हम पहले पांच सेकेंड ब्राह्मरी उच्चरण करेंगे , दस सेकेंड धीमी आवाज में गुनगुनाने जैसी आवाज निकालेंगे । इसके बाद हम हाथ ऊपर उठाकर नौ बार पूरी ताकत के साथ कहेंगे ‘‘ अपनी सामूहिक शांति शक्ति के साथ हम कोविड 19 पर विजय हासिल करेंगे ।’’ नौंवें दौर के बाद हम तालियां बजाएंगे और शांति शांति के उच्चारण के साथ प्रार्थना समाप्त होगी।’’
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