प्रकाशक कर रहे ऑनलाइन किताबें बेचने की तैयारी
देश के अन्य राज्यों समेत राष्ट्रीय राजधानी में भी स्कूली पुस्तकों एवं स्टेशनरी की दुकानें खोलने की मंजूरी दी जा चुकी है।
नई दिल्ली। देश के अन्य राज्यों समेत राष्ट्रीय राजधानी में भी स्कूली पुस्तकों एवं स्टेशनरी की दुकानें खोलने की मंजूरी दी जा चुकी है। सरकार द्वारा एकल दुकानों को स्वीकृति दिए जाने के बाद दरियागंज का अंसारी रोड इलाका जहां बड़ी संख्या में पब्लिशिंग हाउस हैं, अब लगभग पूरी तरह खुल चुका है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पब्लिशिंग हाउसों के लिए मशहूर अंसारी रोड लॉकडाउन-3 तक पूरी तरह बंद रहा। दरियागंज स्थित अंसारी रोड इलाके में मेडिकल, इंजीनियरिंग, अर्थशास्त्र, इतिहास की किताबों के कई प्रसिद्ध स्टोर हैं। इनमें से अब केवल कुछ ही स्टोर बंद है।
यहां मेडिकल की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुस्तकों का स्टोर चलाने वाले रोहित माथुर ने कहा, "सरकार से दुकान खोलने की इजाजत तो मिल चुकी है। हम सावधानी के साथ पुस्तकों की बिक्री शुरू भी कर चुके हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि फिलहाल अभी सिर्फ हम ही काम पर वापस लौट हैं। ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि किताबों के ग्राहक अभी बाजार में मौजूद नहीं हैं।"माथुर ने कहा, "काउंटर सेल न होने के कारण हमने और कई अन्य स्टोर मालिकों ने किताबें ऑनलाइन बेचने का फैसला किया है। इसके लिए कई ई-कॉमर्स वेबसाइट और एजेंटों से संपर्क किया है।"
अंसारी रोड पर पिछले 40 वर्षों से इंजीनियरिंग की पुस्तकों का स्टोर चला रहे पीजी सिंह ने कहा, "लॉकडाउन 3 बीत जाने के जाने के भी कई दिन बाद हमने अपना स्टोर खोला है। हमें मालूम है कि फिलहाल बाजार में काउंटर सेल न के बराबर है, इसलिए अब हम अपने स्टाफ को ऑनलाइन बिक्री की ट्रेनिंग दे रहे हैं। हमने देशभर में अपने क्लाइंट्स को भी इसकी सूचना दी है।"यहां मेडिकल, इंजीनियरिंग, अर्थशास्त्र, इतिहास की किताबों के अलावा कई अंतर्राष्ट्रीय पब्लिशर्स के स्टोर भी हैं। दिल्ली समेत उत्तर भारत के अधिकांश प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों के भी कई पब्लिशर अंसारी रोड से ही अपने प्रतिष्ठान चलाते हैं।
प्राइवेट स्कूलों के लिए पुस्तके छापने वाले डी.एन. कन्याल ने कहा, "इस बार स्कूल बंद होने के कारण अभी तक सैकड़ों स्कूलों ने पुस्तकों की डिलीवरी नहीं ली है। दरअसल, ऐसा इसलिए है कि यदि स्कूल अभी पुस्तके मंगवाने ले तो अभिभावकों का स्कूल पहुंचकर पुस्तकें खरीद पाना फिलहाल संभव नहीं है।"कन्याल के मुताबिक, अब लॉकडाउन-4 में ट्रांसपोर्ट के जरिए पुस्तकें एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा पाना संभव हुआ है, लेकिन लॉकडाउन के बीते तीन दौर में ऐसा संभव नहीं था। एक स्थान से दूसरे स्थान तक पुस्तकों की ऑनलाइन डिलीवरी सुनिश्चित करवाने के लिए बेहतर ट्रांसपोर्ट की भी आवश्यकता होती है।कन्याल ने कहा, "हमें लगता है कि अब यदि अब स्थिति सामान्य रही तो आने वाले दिनों में कम से कम स्कूल पाठ्यक्रम की पुस्तकों की सप्लाई तो सुनिश्चित की जा सकेगी।"