अम्बाला। कोरोना वायरस वैश्विक महामारी को काबू करने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के बीच नौकरी जाने या वेतन में कटौती के कारण वित्तीय संकट से जूझ रहे अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च में कटौती करने के लिए सरकारी स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं। अम्बाला में कई अभिभावकों का कहना है कि वे मोटी फीस जमा कराते रहे हैं लेकिन निजी स्कूल मौजूदा हालात में भी कोई खास रियायत देने को तैयार नहीं हैं। एक निजी स्कूल में सातवीं कक्षा में पढ़ने वाले एक छात्र के पिता ने कहा, ‘‘स्कूलों के बंद होने और सामान्य समय के मुकाबले कई खर्चों में कटौती के बावजूद निजी स्कूल फीस में कोई राहत नहीं दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात के मद्देनजर अनिश्चितता पैदा हो गई है और किसी को नहीं पता कि स्कूल कब खुलेंगे।
नौवीं कक्षा की एक छात्रा के अभिभावक ने कहा कि वह जिस निजी कंपनी में काम करते हैं, उसने वेतन में भारी कटौती की है और उनके लिए स्कूल की फीस देना मुश्किल हो गया है, इसलिए उन्होंने अपनी बच्ची का दाखिला एक सरकारी स्कूल में कराने का फैसला किया है। अभिभावक ने कहा कि वह कम से कम तीन या चार ऐसे लोगों को जानते हैं, जिनकी नौकरी चली गई है और वे अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में कराना चाहते हैं।
एक अन्य अभिभावक कमल कुमार ने कहा कि उन्होंने अपने दो बच्चों का दाखिला निजी स्कूल में कराया था, लेकिन मौजूदा वित्तीय संकट के बीच उनके लिए इतनी मोटी फीस देना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने बच्चों का किसी सरकारी स्कूल में दाखिला कराने के लिए हाल में राज्य शिक्षा विभाग से अनुरोध किया है। अम्बाला के उप जिला शिक्षा अधिकारी सुधीर कालड़ा ने बताया कि पिछले कुछ समय में विभाग को शिकायतें मिली हैं कि निजी स्कूल छात्रों को स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में कराना चाहते हैं। हरियाणा स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से सोमवार को जारी एक आदेश के अनुसार सरकारी स्कूलों में दाखिला कराने के लिए अब स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।
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