H1-B VISA : नीति में नहीं होगा बदलाव, 7 लाख 50 हजार इंजीनियरों की बची नौकरी
अमेरिका हर साल 85,000 उच्च प्रशिक्षित आवेदकों को एच-1 वीजा देता है जिसमें 70 फीसदी भारतीय शामिल हैं...
वाशिंगटन : H-1 B वीजा पर अमेरिका में काम कर रहे भारतीय इंजीनियरों के लिए राहत की बात है। जहां एक तरफ से यह खबर आ रही थी कि ट्रंप प्रशासन H-1 B वीजा नियमों को सख्त बना सकता है, वहीं 9 जनवरी को अमेरिकी अधिकारियों ने यह साफ कर दिया कि वे फिलहाल ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहे हैं जिसकी वजह से H-1 B वीजा वाले भारतीय इंजीनियरों को अमेरिका छोड़ना पड़े।
हाल ही में एक रिपोर्ट के हवाले से यह पता चला था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप H-1 B वीजा के नियमों को सख्त बनाएंगे। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि अमारिकी सरकार H-1 B वीजा धारकों को वीजा एक्सटेंशन नहीं देगी। इसके कारण 7,50,000 भारतीय आइटी इंजीनियरों को देश छोड़ने पर मजबूर होना होगा। अमेरिका के तमाम कानूनविदों ने इस फैसले का विरोध किया।
अमेरिका हर साल 85,000 उच्च प्रशिक्षित आवेदकों को एच-1 वीजा देता है जिसमें 70 फीसदी भारतीय शामिल हैं। H-1 B वीजा के तहत अमेरिकी कंपनियां दूसरे देशों से हाई स्किल्ड प्रोफेशनल्स को नौकरी पर रकती है। उन लोगों को अस्थाई वीजा उपलब्ध कराया जाता है क्योंकि वहां ऐसे हाई स्किल्ड प्रोफेशनल्स नहीं हैं। इस तरह युवाओं और खासकर इंजीनिसरों के लिए रोजगार अवकर बढ़ जाते हैं।
अमेरिका में जाकर नौकरी करने पर उन्हें भारत के मुकाबले सैलेरी तो ज्यादा मिलती ही है, साथ ही सुविधाएं भी अनेक मीलती हैं। अमेरिका में रह रहे भारतीयों को बौदाधिक रूप से काफी बुद्धिमान भी माना जाता है। आखिर अमेरिकी कंपनियों में काम करने वाले भारतीय आईआईटी, एनआईटी जैसी देश की सर्वोच्च संस्थानों से पास हुए रहते हैं।
भारत और अमेरिका के रिश्ते हमेशा से ही अच्छे रहे हैं। H-1 B वीजा एक ऐसा मुद्दा है जसकी वजह से इस रिश्ते में दरार आने के आसार नजर आ रहे थे। गौरतलब है कि अमेरिका की ओर से सफाई आने के बाद अभी के लिए यह चिंता टल गई है और बौद्धिक रूप से उक्त आईटी में प्रशिक्षित लोगों के लिए अमेरिकी नौकरी का अवसर अब भी खुला है।