नयी दिल्ली, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् :एनसीईआरटी: राष्ट्रीय पाठ्यचर्या एवं पठन-पाठन की व्यवस्था को उन्नत बनाने के लिये देश के छह राज्यों के छह प्रखंडों में प्राथमिक शिक्षा स्तर पर जमीनी सर्वेक्षण करा रही है । यह सर्वेक्षण स्कूलों की स्थिति, पाठ्येतर गतिविधियों में छात्रों की सहभागिता, छात्र केंद्रित गतिविधि, शिक्षकों को पेश आने वाली परेशानी, स्कूल के माहौल के आधार पर किया जा रहा है। एनसीईआरटी के निदेशक ऋृषिकेश सेनापति ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ से खास बातचीत में कहा, ‘‘ इन छह राज्यों में कर्नाटक के मैसूर में हुंसूर प्रखंड, मध्य प्रदेश के भोपाल में इच्छावर, मेघालय के शिलांग में भोइरिमबांग, राजस्थान के भीलवाड़ा में हुर्दा तथा ओडिशा के भुवनेश्वर में चिल्का प्रखंड शामिल हैं। ’’ उन्होंने बताया, ‘‘ इन छह प्रखंडों में स्कूली शिक्षा के विविध आयामों पर जमीनी :बेसलाइन: सर्वेक्षण कराया जा रहा है। इसके तहत हमने कई गतिविधियां तैयार की हैं और इन प्रखंडों में स्थित स्कूलों में इनके अनुपालन की स्थिति एवं प्रगति की समीक्षा करके और रिपोर्ट तैयार की जाएगी।’’
इस सर्वेक्षण के तहत एनसीईआरटी की टीम स्कूलों का दौरा कर रही है और इसमें सामुदायिक भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है। इस कार्य में राज्य शिक्षा विभाग, एससीईआरटी, शिक्षाविदों, शिक्षकों, छात्रों एवं अधिकारियों की भी सहभागिता है। एनसीईआरटी के निदेशक ने बताया कि इस सर्वेक्षण के आधार पर राष्ट्रीय पाठ्यचर्या एवं पठन पाठन की स्थिति को उन्नत बनाया जायेगा । गौरतलब है कि एनसीईआरटी ने नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद राष्ट्रीय पाठ्यचर्या 2005 को उन्नत बनाने की योजना बनाई है।
एनसीईआरटी के सर्वेक्षण के तहत कर्नाटक के मैसूर में हुंसूर प्रखंड में 329 स्कूलों के 21500 छात्र एवं 1208 शिक्षकों को शामिल किया गया है जबकि मध्यप्रदेश के भोपाल में इच्छावर प्रखंड में 290 स्कूलों में 17000 छात्रों एवं 649 शिक्षकों को शामिल किया गया है। मेघालय के शिलांग में भोइरिमबांग प्रखंड में 183 स्कूलों में 13613 छात्रों एवं 946 शिक्षकों, राजस्थान के भीलवाड़ा में हुर्दा प्रखंड में 167 स्कूलों में 20 हजार से अधिक छात्रों एवं 496 शिक्षकों तथा ओडिशा के भुवनेश्वर में चिल्का प्रखंड में 119 स्कूलों में 16098 छात्रों एवं 574 शिक्षकों को शामिल किया गया है। एनसीईआरटी के निदेशक ने बताया कि परिषद् ने पहली से आठवीं कक्षा के लिये पहले ही लर्निंग आउटकम जारी कर दिया है और इसी महीने माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर लर्निंग आउटकम जारी किया जाएगा। सेनापति ने बताया, ‘‘ हमारा जोर क्षमता उन्नयन पर है। हम छात्रों में समस्या समाधान क्षमता एवं समालोचनात्मक सोच को बढ़ावा देना चाहते हैं। लर्निंग आउटकम को उसी हिसाब से तैयार किया गया है।’’(यह आर्टिकल एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड हुआ है।
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